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ज्योतिषी के अनुसार, पूर्णिमा तिथि पर श्री सत्यनारायण पूजा करना लाभकारी होता है। जून माह में ज्येष्ठ पूर्णिमा 22 जून को पड़ रही है।
By Ekta Sharma
Publish Date: Fri, 24 May 2024 02:34:48 PM (IST)
Updated Date: Fri, 24 May 2024 02:35:43 PM (IST)

HighLights
- श्री सत्यनारायण पूजा की महिमा सनातन ग्रंथों में वर्णित है।
- अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी दिन श्री सत्यनारायण पूजा की जा सकती है।
- पूर्णिमा तिथि पर श्री सत्यनारायण पूजा करना ज्यादा लाभकारी होता है।
धर्म डेस्क, इंदौर। Shree Satyanarayan Pooja: सनातन धर्म में गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता है। साथ ही यह दिन श्री सत्यनारायण पूजा के लिए भी उत्तम माना जाता है। श्री सत्यनारायण पूजा की महिमा सनातन ग्रंथों में वर्णित है। इस पूजा के लिए तिथि और समय का ध्यान नहीं रखा जाता है। अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी दिन श्री सत्यनारायण पूजा की जा सकती है।
हालांकि, पूर्णिमा तिथि पर श्री सत्यनारायण की पूजा करने से भक्त को विशेष फल की प्राप्ति होती है। श्री सत्यनारायण की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि, शांति और समृद्धि आती है। साथ ही व्रत करने वाले की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अगर आप जून माह में श्री सत्यनारायण की पूजा करना चाहते हैं, तो हम आपके लिए शुभ मुहूर्त की लिस्ट लेकर आए हैं।
श्री सत्यनारायण पूजा शुभ मुहूर्त
ज्योतिषी के अनुसार, पूर्णिमा तिथि पर श्री सत्यनारायण पूजा करना लाभकारी होता है। जून माह में ज्येष्ठ पूर्णिमा 22 जून को पड़ रही है। पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा 21 जून को सुबह 7.31 बजे शुरू होगी और अगले दिन 22 जून को सुबह 6.37 बजे समाप्त होगी। ऐसे में ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 21 जून को ही रखा जाएगा। जबकि ज्येष्ठ पूर्णिमा 22 जून को मनाई जाएगी। जून महीने में श्री सत्यनारायण पूजा के लिए 22 जून सबसे अच्छा दिन है। इस दिन स्नान, ध्यान, पूजा, गायन, तप और दान कर सकते हैं।
शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04.04 मिनट से 04.44 मिनट तक।
विजय मुहूर्त – दोपहर 02.43 मिनट से 03.39 मिनट तक।
गोधूलि मुहूर्त – शाम 07.21 मिनट से 07.41 मिनट तक।
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12.03 मिनट से 12.43 मिनट तक।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’
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