आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी वाले घी के उपयोग के खुलासे से मचे बवाल के बीच छत्तीसगढ़ में यह फैसला लिया गया है। इसके लिए पशुधन विकास विभाग ने सभी जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिखा है।
By Arvind Dubey
Publish Date: Thu, 26 Sep 2024 08:07:31 AM (IST)
Updated Date: Thu, 26 Sep 2024 10:00:15 AM (IST)
HighLights
- छत्तीसगढ़ की 700 दुग्ध सहकारी समितियों से संबद्ध है देवभोग
- 12 फीसदी GST के साथ 16 किलो का जार 9,030/- में पड़ेगा
- छत्तीसगढ़ में पांच प्रमुख शक्तिपीठ हैं, जहां अनुष्ठान होते हैं
नईदुनिया, रायपुर (Shardiya Navratri 2024)। छत्तीसगढ़ के शक्तिपीठों और प्रमुख मंदिरों में शारदीय नवरात्र में ज्योति प्रज्ज्वलन तथा प्रसाद बनाने के लिए देवभोग घी का उपयोग किया जाएगा। देवभोग छत्तीसगढ़ की 700 दुग्ध सहकारी समितियों से संबद्ध है।
आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी वाले घी के उपयोग के खुलासे से मचे बवाल के बीच राज्य शासन ने देवभोग घी के इस्तेमाल का परामर्श दिया है। पशुधन विकास विभाग और कृषि उत्पादन आयुक्त ने इस संबंध में सभी जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिखा है।
9,030 रुपये में 16.48 लीटर घी
- कलेक्टरों को लिखे पत्र में कहा गया है कि प्रमुख शक्तिपीठों व मंदिरों में ज्योति प्रज्ज्वलन व प्रसाद निर्माण के लिए अब शुद्ध देवभोग घी की आपूर्ति की जाएगी।
- शक्तिपीठों तक देवभोग घी के 16 किलो (16.48 लीटर) के जार को पहुंचाने की दर 9,030 रूपये स्वीकृत की गई है। इसमें 12 प्रतिशत जीएसटी भी शामिल है।
- प्रदेश में पांच प्रमुख शक्तिपीठ रतनपुर में महामाया, चंद्रपुर में चंद्रहासनी, डोंगरगढ़ में बम्लेश्वरी, दंतेवाड़ा में दंतेश्वरी देवी और अंबिकापुर में महामाया हैं।
देवभोग घी को प्रोत्साहित करना उद्देश्य
नवरात्रि में प्रमुख शक्तिपीठों और प्रमुख मंदिरों में देवभोग घी के उपयोग को लेकर सभी जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिखकर परामर्श दिया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य देवभोग घी को प्रोत्साहित करना है। – शहला निगार, कृषि उत्पादन आयुक्त व सचिव पशुधन विकास विभाग