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Sankashti Chaturthi 2024 Vrat: संकटों को दूर करती है संकष्टी चतुर्थी… जानिए इसका म​हत्व, शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय समय

bareillyonline.com by bareillyonline.com
19 September 2024
in न्यूज़
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एक माह में चतुर्थी का व्रत दो बार आता है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने से जीवन की परेशानियां दूर होती हैं। इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास से जानते हैं पूजा का मुहूर्त और शुभ समय।

By Shashank Shekhar Bajpai

Edited By: Shashank Shekhar Bajpai

Publish Date: Thu, 19 Sep 2024 06:33:35 PM (IST)

Updated Date: Thu, 19 Sep 2024 06:33:35 PM (IST)

Sankashti Chaturthi 2024 Vrat: संकटों को दूर करती है संकष्टी चतुर्थी… जानिए इसका म​हत्व, शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय समय
चंद्रमा को अर्घ्य देकर खोला जाता है चतुर्थी का व्रत। फोटो- प्रतीकात्मक।

HighLights

  1. जीवन में चली आ रही परेशानियों और बाधाओं का होता है नाश।
  2. संकष्टी चतुर्थी के व्रत से होती है ज्ञान, सुख और समृद्धि की प्राप्ति।
  3. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पूरा होता है संकष्टी चतुर्थी का व्रत।

शशांक शेखर बाजपेई, धर्म डेस्क। Sankashti Chaturthi September 2024: अश्विनी महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। भगवान गणेश को समर्पित इस दिन का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। मान्यता है कि इस दिन जो लोग भगवान गणेश की पूजा करते हैं, उन्हें सफलता और समृद्धि मिलती है।

इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से जीवन में आ रही परेशानियों और बाधाओं का नाश होता है। इसके साथ ही ज्ञान, सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस साल संकष्टी चतुर्थी का शुभ व्रत 21 सितंबर 2024 को मनाया जाएगा।

जानिए तिथि और मुहूर्त

संकष्टी चतुर्थी 2024 की तिथि: 21 सितंबर 2024, शनिवार

चतुर्थी तिथि प्रारंभ – रात 09:15, 20 सितंबर 2024

चतुर्थी तिथि समाप्त – शाम 06:13, 21 सितंबर 2024

अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:49 बजे से 12:38 बजे तक

अमृत काल: सुबह 8:13 बजे से 9:41 बजे तक

ऐसे करें पूजा

संकष्टी चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म करने के बाद साफ कपड़े पहनें। भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर को साफ करने के बाद प्रार्थना करें। फूल और नैवेद्य चढ़ाएं, जिसमें लड्डू या मोदक शामिल हो। इसके साथ ही फल चढ़ाएं। इसके बाद गणेश मंत्र और संकष्टी चतुर्थी कथा का पाठ किया जाता है।

चंद्रमा को दें अर्घ्य

यदि कोई मंत्र नहीं आता हो, तो ‘वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभा’ या ‘ओम गं गणपतये नमः’ का जाप करें। एक दीप जलाकर भगवान गणेश की आरती करें। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर उपवास खोलें। चंद्रोदय रात 8.29 मिनट पर होगा। चंद्रमा की पूजा भगवान गणेश की दिव्य उपस्थिति के प्रतीक के रूप में की जाती है।

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