रक्षाबंधन को हम सभी भाई-बहन बड़े प्रेम और स्नेह के साथ हर साल मनाते हैं। बहनें थाल सजाकर भाई की आरती करती हैं और भगवान से प्रार्थना करती हैं कि उनका स्वस्थ और दीर्घायु हो। रक्षाबंधन के इतिहास को लेकर ऐसी ही कुछ और कहानियां भी प्रचलित हैं। इसके साथ ही कई जगहों पर अलग-अलग तरह से रक्षाबंधन मनाया जाता है।
By Ekta Sharma
Publish Date: Thu, 25 Jul 2024 03:06:13 PM (IST)
Updated Date: Thu, 25 Jul 2024 03:06:13 PM (IST)
HighLights
- इस बार रक्षाबंधन 19 अगस्त को मनाया जाएगा।
- रक्षा बंधन भाई-बहनों के बीच प्यार को दर्शाता है।
- सबसे पहले सतयुग से इस पर्व की शुरुआत हुई।
धर्म डेस्क, इंदौर। Raksha Bandhan 2024: हिंदू धर्म में सभी त्योहार अपना एक विशेष महत्व रखते हैं। इनमें से एक रक्षाबंधन पर्व बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और उसके सफल भविष्य की कामना करती हैं।
वहीं, भाई भी अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं। साथ ही कुछ ना कुछ उपहार भी देते हैं। पिछली बार की तरह इस बार भी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा। इस बार रक्षाबंधन 19 अगस्त को मनाया जाने वाला है।
रक्षाबंंधन की अनोखी परंपराएं
रक्षाबंधन को लेकर कई तरह की मान्यता है, जो प्रचलित हैं। इतना ही नहीं अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तरह से रक्षाबंधन मनाया जाता है। आज हम आपको रक्षाबंधन से जुड़ी अनोखी परंपराओं के बारे में बताने जा रहे हैं।
नौ दिनों तक मनाया जाता है रक्षाबंधन
मारवाड़ी समाज का रक्षाबंधन पर्व नौ दिनों तक चलता है। इस दिन पहले घर की चौखट की पूजा की जाती है। मुख्य द्वार पर खीर, पुरी, मौली और दूबा रखी जाती है। इसके बाद अगले 8 दिन तक रिश्तेदार एक दूसरे के यहां जाकर रक्षाबंधन पर्व मनाते हैं और राखी बांधते हैं। नौवें दिन गुगा जी का निर्माण किया जाता है और सारी राखियां उतारकर उन्हें चढ़ा देते हैं।
ननद अपनी भाभी को बांधती है राखी
उत्तर बिहार में रक्षाबंधन पर ननद अपनी भाभी को लुंबा राखी बांधती है। हर साल ननद अपनी भाभी को राखी बांधने अपने-अपने घर जाती हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने से दोनों के रिश्ते की मिठास बनी रहती है। बेटी को मायके में अपनापन मिलता रहे, इसलिए यह परंपरा बनाई गई।
पेड़ों को बांधी जाती है राखी
रक्षाबंधन पर्व पर पटना में पेड़ों को राखी बांधी जाती है। इस दिन लोग पाटली वृक्ष को राखी बांधकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेते हैं। इस दिन पर्यावरण पर काम करने वाली संस्था भी जागरूकता अभियान चलाती है।
रक्षाबंधन पर पाषाण युद्ध की परंपरा
उत्तराखंड के चंपावत जिले के देवीधुरा में रक्षाबंधन पर बग्वाल पाषाण युद्ध की परंपरा है। इसमें चार खाम और सात थोकों के रणबांकुरे बग्वाल खेलते हैं और एक व्यक्ति के बराबर रक्त बहाते हैं। बग्वाल के बाद सभी रणबांकुरे गले मिलते हैं। यह परंपरा मानवता की अलख जगाने के लिए शुरू की गई थी।
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