भगवान शिव के पूजन के लिए सोमवार का महत्व है, लेकिन प्रदोष व्रत के दौरान भी भोलेनाथ के पूजन का बड़ा धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि इस दिन शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है।
By Bharat Mandhanya
Publish Date: Tue, 18 Jun 2024 11:39:37 AM (IST)
Updated Date: Tue, 18 Jun 2024 11:53:14 AM (IST)
HighLights
- प्रत्येक माह में दो बार रखा जाता है प्रदोष व्रत
- संध्याकाल में शिव और पार्वती की पूजा होती है
- व्रत रखने से दूर होते हैं सारे कष्ट
धर्म डेस्क, इंदौर। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ का इस दिन पूजन करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है और व्रती की हर मनोकामना भी पूर्ण होती है। प्रदोष व्रत प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। इस दिन व्रत रखने से जीवन में चल रही समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।
ज्येष्ठ माह का दूसरा प्रदोष व्रत 19 जून को रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। जिससे सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन महादेव का व्रत रखना शुभ फलदायी माना गया है। यहां आपको बताते हैं कि ज्येष्ठ पूर्णिमा की क्या पूजन विधि है और भगवान शिव को किन चीजों का भोग लगाना चाहिए।
भगवान शिव के लगाए यह भोग
दही और घी
प्रदोष व्रत पर भगवान शिव को दही और घी का भोग लगाना शुभ माना गया है। मान्यता है कि इससे सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
हलवा
प्रदोष व्रत पर भगवान शिव को हलवे का भोग लगाना चाहिए। इससे व्रती के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।
सूखे मेवे
मान्यता है कि भगवान शिव को सूखे मेवे का भोग लगाने से आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
ऐसी है पूजा विधि
- प्रदोष व्रत पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि एवं नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं।
- घर के मंदिर को साफ कर भगवान शिव के समक्ष दीपक लगाएं।
- शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें।
- शिवलिंग पर चंदन, बेलपत्र, और पुष्प अर्पित करें।
- अंत में भोलेनाथ की आरती करें।
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