शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में सुबह और शाम के समय देवी-देवताओं की पूजा होती है, जबकि दोपहर का समय पितरों को समर्पित होता है. इसलिए पितरों का श्राद्ध दोपहर के समय करना ही उत्तम होता है। पितृपक्ष में आप किसी भी तिथि पर दोपहर 12 बजे के बाद श्राद्धकर्म कर सकते हैं। इसके लिए कुतुप और रौहिण मुहूर्त सबसे अच्छे माने जाते हैं।
By Navodit Saktawat
Publish Date: Tue, 17 Sep 2024 04:17:05 PM (IST)
Updated Date: Tue, 17 Sep 2024 04:21:51 PM (IST)
HighLights
- पितरों का तर्पण करें1 गरीब ब्राह्मणों को भोज कराएं।
- श्राद्ध के दिन कौवे, चींटी, गाय, कुत्ते को भोग लगाएं।
- पितृ पक्ष का पहला और अंतिम दिन महत्वपूर्ण होता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस बार पितृ पक्ष यानी श्राद्ध महालय भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आरंभ हो रहे हैं। इस वर्ष पितृ पक्ष 18 सितंबर 2024 से शुरू हो रहे हैं, और इसका समापन 02 अक्टूबर 2024 को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर होगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा ने बताया कि धार्मिक शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक चलता है। इसमें श्राद्ध का पहला दिन और आखिरी दिन बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।
इस दौरान अपने पितरों के सम्मान में उन्हें याद करते हुए उनके नाम का तर्पण करना और भोग लगाना का विशेष महत्त्व है।
आचार्य गोविन्द दुबे बताते है कि, पितृ पक्ष वह समय होता है जब पितृगण धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से तर्पण और पिंडदान की आशा रखते हैं। इस दौरान विधिपूर्वक श्राद्ध करने से पितृगण प्रसन्न होते हैं और परिवार पर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
कौए का पितृ पक्ष में खास महत्व
कौए को धरती और यमलोक के बीच का दूत माना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान अगर कौए आपके घर आते हैं, तो इसे पितरों का संदेशवाहक समझा जाता है। आचार्य दुबे बताते हैं कि कौए के माध्यम से पितृगण अपने वंशजों को संदेश भेजते हैं और उनकी उपस्थिति का संकेत देते हैं। इस कारण से श्राद्ध और तर्पण के समय कौए को भोजन कराना पितरों को संतुष्ट करने का एक अहम हिस्सा होता है।
पितृ पक्ष की श्राद्ध तिथियां
- * बुधवार, 18 सितंबर- पूर्णिमा प्रतिपदा श्राद्ध
- गुरुवार, 19 सितंबर- द्वितीया श्राद्ध
- शुक्रवार, 20 सितंबर- तृतीया श्राद्ध
- शनिवार, 21 सितंबर- चतुर्थी श्राद्ध
- रविवार, 22 सितंबर- पंचमी श्राद्ध
- सोमवार, 23 सितंबर- षष्ठी श्राद्ध और सप्तमी श्राद्ध
- मंगलवार, 24 सितंबर- अष्टमी श्राद्ध
- बुधवार, 25 सितंबर- नवमी श्राद्ध
- गुरुवार, 26 सितंबर- दशमी श्राद्ध
- शुक्रवार, 27 सितंबर- एकादशी श्राद्ध
- शनिवार, 29 सितंबर- द्वादशी श्राद्ध
- रविवार, 30 सितंबर- त्रयोदशी श्राद्ध
- सोमवार, 1 अक्टूबर- चतुर्दशी श्राद्ध
- मंगलवार, 2 अक्टूबर- सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध