हिंदुओं के बीच परशुराम जयंती का बहुत धार्मिक महत्व है, क्योंकि यह दिन भगवान श्री परशुराम के जन्म का प्रतीक माना जाता है।
By Ekta Sharma
Publish Date: Thu, 09 May 2024 04:57:11 PM (IST)
Updated Date: Thu, 09 May 2024 05:18:19 PM (IST)
HighLights
- परशुराम जी का जन्म तृतीया तिथि को प्रदोष काल में हुआ था।
- भगवान परशुराम ब्राह्मण होते हुए भी उनमें क्षत्रिय के गुण थे।
- भारत के पश्चिमी तट पर कई परशुराम मंदिर स्थित हैं।
धर्म डेस्क, इंदौर। Parshuram Jayanti 2024: सनातन धर्म में परशुराम जयंती को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह शुभ दिन भगवान परशुराम के जन्म का प्रतीक है, साथ ही इस दिन अक्षय तृतीया भी मनाई जाती है। भगवान परशुराम को श्रीहरि का छठा अवतार माना जाता है। परशुराम जयंती वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस बार परशुराम जयंती 10 मई 2024 को मनाई जा रही है।
तृतीया तिथि शुक्रवार, 10 मई 2024 को सुबह 4:17 बजे शुरू होगी। यह तिथि शुक्रवार, 11 मई 2024 को दोपहर 2 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी। इस दौरान ही भगवान परशुराम की पूजा की जाएगी।
परशुराम जयंती धार्मिक महत्व
हिंदुओं के बीच परशुराम जयंती का बहुत धार्मिक महत्व है, क्योंकि यह दिन भगवान श्री परशुराम के जन्म का प्रतीक माना जाता है। परशुराम जी का जन्म तृतीया तिथि को प्रदोष काल में हुआ था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उनका जन्म अन्यायी, पापी और क्रूर राजाओं का विनाश करने के लिए हुआ था। यह भी कहा जाता है कि उन्होंने पृथ्वी से 21 बार क्षत्रियों का विनाश किया था।
भगवान परशुराम ब्राह्मण होते हुए भी उनमें क्षत्रिय के गुण थे। यह भी माना जाता है कि परशुराम अष्ट चिरंजीवियों में से एक हैं और अभी भी पृथ्वी पर हैं। भारत के पश्चिमी तट पर कई परशुराम मंदिर स्थित हैं।
परशुराम पूजन मंत्र
1. ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।
2. ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।
3. ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्न: परशुराम: प्रचोदयात्।।
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