यात्रा के दौरान उज्जैन नगर के चार द्वार पर स्थित चार द्वारपाल पिंग्लेश्वर, कायावरूहणेश्वर, बिल्वकेश्वर व दुर्दरेश्वर महादेव की पूजा अर्चना की जाती है।
By Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Wed, 01 May 2024 07:14 AM (IST)
Updated Date: Thu, 02 May 2024 02:59 PM (IST)
HighLights
- परंपरा अनुसार दो दिन पहले यात्रा शुरू कर देते हैं श्रद्धालु
- वैशाख कृष्ण दशमी पर 3 मई को पंचकोसी यात्रा की शुरुआत होगी
- बुधवार को ही पहला जत्था प्रथम पड़ाव की और रवाना हो सकता है।
नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। वैशाख कृष्ण दशमी पर 3 मई को पंचकोसी यात्रा की शुरुआत होगी। देशभर से आने वाले श्रद्धालु पटनी बाजार स्थित श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर से बल लेकर यात्रा पर रवाना होंगे। प्रशासन ने यात्रियों की सुविधा के लिए तैयार शुरू कर दी है। हालांकि परंपरा अनुसार यात्री निर्धारित तिथि से एक दो दिन पहले ही यात्रा शुरू कर देते हैं। ऐसे में बुधवार को ही पहला जत्था प्रथम पड़ाव की और रवाना हो सकता है।
मालवा की लोक परंपरा अनुसार उज्जैन में वैशाख कृष्ण दशमी से अमावस्या तक पांच दिन पंचकोसी यात्रा निकलती है। देशभर से आए श्रद्धालु पटनी बाजार स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर से बल लेकर 118 किलो मीटर की पदयात्रा पर रवाना होते हैं।
यात्रा के दौरान नगर के चार द्वार पर स्थित चार द्वारपाल पिंग्लेश्वर, कायावरूहणेश्वर, बिल्वकेश्वर व दुर्दरेश्वर महादेव की पूजा अर्चना की जाती है। यात्रा के विभिन्न पड़ावों पर यात्री भजन कीर्तन कर रात व्यतीत करते हैं। प्रशासन द्वारा यात्रा को लेकर तैयारी की जा रही है।
नागचंद्रेश्वर मंदिर पर छांव के लिए शामियाने, पेयजल के लिए टेंकर आदि का इंतजाम किया गया है। भक्तों को सुविधा से भगवान के दर्शन हो सके इस हेतु मुख्यमार्ग पर विशाल एलईडी स्क्रीन लगाई जाएगी। बताया जाता है निर्धारित तिथि से पहले यात्रा शुरू करने वाले श्रद्धालु बुधवार व गुरुवार को अलग-अलग जत्थों में प्रथम पड़ाव पिंग्लेश्वर की ओर रवाना हो सकते हैं।
उपेक्षित पड़ी मूर्तियां…जिम्मेदारों का ध्यान नहीं
नागचंद्रेश्वर मंदिर में प्राचीन मूर्तियों का भंडार है। सभामंडप की दीवारों में उत्कीर्ण मुर्तियां सुरक्षित है। वहीं परिसर में बड़ी संख्या में मूर्तियां उपेक्षित पड़ी है। मंदिर के पुजारी व आसपास के रहवासियों का इस और ध्यान नहीं है। शहर में प्राचीन मूर्तियों के संरक्षण हेतु अनेक संग्रहालय मौजूद है, इन मूर्तियों को इन संग्रहालयों में सुरक्षित रखा जा सकता है।