इस अवसर पर इस्कॉन प्रांगण में फूड कार्निवल भी शुरू होगा जिसमें उड़िया के अनेक व्यंजन प्रस्तुत किए जाएंगे, साथ ही साथ सेल्फी प्वाइंट्स का आकर्षण व गोपी डॉट्स के स्टाल भी होंगे। इस दिन परंपरा के अनुसार अपने भक्तों को भगवान हाथीवेश अथवा गजवेश के रूप में दर्शन देंगे।
By Navodit Saktawat
Publish Date: Sat, 22 Jun 2024 01:48:11 PM (IST)
Updated Date: Sat, 22 Jun 2024 01:52:29 PM (IST)
प्रेरणा कुमारी। इस्कॉन द्वारका में आज बहुत ही धार्मिक और उत्साहजनक अवसर है इस्कॉन में भगवान जगन्नाथ के पुरी से आए दिव्य जल से अभिषेक और स्नान यात्रा के उत्सव का अनुष्ठान किया जा रहा है, जो उनके भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह परंपरागत धार्मिक कार्यक्रम उनके आनंद और शांति को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। बता दें कि ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ का विशेष स्नान होता है।
हर साल यह स्नान भगवान जगन्नाथ के प्रकट उत्सव के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस उत्सव को जगन्नाथ पुरी के साथ-साथ देश-दुनिया के सभी इस्कॉन मंदिरों में मनाया जाता है। इस्कॉन द्वारका श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश मंदिर सेक्टर13 में भगवान जगन्नाथ का स्नान यात्रा उत्सव मनाया जा रहा है।
इस अवसर पर इस्कॉन में भगवान जगन्नाथ जी के प्राक्ट्य से जुड़ी कथा का आरंभ सुबह आठ बजे से होगा। इस उपलक्ष्य में पूरे मंदिर को अनेक प्रकार के सुगंधित फूलों से सजाया जाएगा। शाम से कीर्तन मेला आरंभ होगा। जिसमें विभिन्न वैष्णवों द्वारा हरि नाम संकीर्तन और यज्ञ किया जाएगा।
इसके बाद संध्या काल में महा अभिषेक किया जाएगा जिसमें जगन्नाथ पुरी धाम के दिव्य कूप का विशेष जल (गंगा, यमुना, सरस्वती का सम्मिश्रण) से भगवान का अभिषेक किया जाएगा। साढ़े सात बजे भगवान को विशेष उड़िया भोग अर्पित किए जाएंगे, उसके तत्पश्चात महाआरती और फिर प्रसादम की व्यवस्था रहेगी।
इसमें भगवान जगन्नाथ और भगवान बलराम हाथी की पोशाक पहनते हैं और मैया सुभद्रा कमल के फूल की पोशाक पहनती हैं। कुछ लोग इसे गज स्नान भी कहते हैं क्योंकि एक भक्त के लिए भगवान ने गजवेश धारण किया था। ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ ने अपने एक भक्त जिसका नाम गणपति भट्ट था वह स्नान यात्रा के दौरान पुरी आया था। उसे उसकी विद्वता के लिए उड़ीसा के राजा ने भरपूर पुरस्कार भी दिया।
राजा ने गणपति को भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए अपने साथ चलने को कहा। जब वह दर्शन करने गया तो भगवान वहां जगन्नाथ जी के रूप में विराजमान थे। यह देखकर वह उदास होकर वापस जाने लगा। भक्त को खुश करने के लिए भगवान ने गज रूप अर्थात गणेश का रूप धारण किया और अपने भक्त को प्रसन्न किया तभी से यह परंपरा चली आ रही है।
इसलिए भगवान को गजवेश में सजाया जाता है। यह अभिषेक और स्नान यात्रा उत्सव एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है, जो भगवान जगन्नाथ के भक्तों के लिए प्राचीन परंपरा का हिस्सा है। इस उत्सव में सम्मिलित होकर आप सभी इसका आनंद उठाएं। यह जानकारी पत्रकार एवं लेखक प्रेरणा कुमारी ने दी है।