कार्तिक माह का प्रारंभ 18 अक्टूबर को हुआ और यह 15 नवंबर तक चलेगा। इस महीने में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है, और दीपदान का भी विशेष महत्व है। महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन हजारों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए उमड़ेंगे।
By Shravan Kumar Sharma
Publish Date: Sun, 20 Oct 2024 06:14:32 PM (IST)
Updated Date: Sun, 20 Oct 2024 06:15:19 PM (IST)
HighLights
- कार्तिक महीने का शुभारंभ 18 अक्टूबर को हुआ जो 15 नवंबर तक चलेगा।
- कार्तिक मास में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान से पापों का नाश और पुण्य फल की प्राप्ति।
- कार्तिक में मनाया जाएगा दीपावली, धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, छठ पर्व।
नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर। हिंदू पंचांग में प्रत्येक महीना में कोई ना कोई पर्व, त्यौहार मनाया जाता है, इनमें सबसे खास महत्व कार्तिक महीना को दिया गया है। कार्तिक महीना में हिंदुओं का सबसे बड़ा पर्व दीपावली, धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, छठ पर्व, तुलसी विवाह, देव दीपावली और सुहागिनों का प्रमुख पर्व करवा चौथ उत्साह से मनाया जाता है। कार्तिक महीने का शुभारंभ 18 अक्टूबर को हुआ जो 15 नवंबर तक चलेगा। पूरे महीनेभर तक ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस महीने दीपदान का भी विशेष महत्व है।
शुक्र से शुरू होकर शुक्र को समापन
महामाया मंदिर के पुजारी पं.मनोज शुक्ला के अनुसार 18 अक्टूबर शुक्रवार को कार्तिक महीना प्रारंभ हुआ और समापन भी 15 नवंबर शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा के दिन होगा।इस दिन हजारों श्रद्धालु पवित्र नदियों गंगा, यमुना, गोदावरी में कार्तिक स्नान के लिए उमड़ेंगे। यदि कोई तीर्थस्थल अथवा पवित्र नदियों में स्नान करने नहीं जा सकते तो वे अपने शहर की नदियों को ही तीर्थ समझकर स्नान लाभ ले सकते हैं। घर पर भी ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करने से पुण्य मिलता है।
तुलसी चौरा की पूजा करें
कार्तिक माह की प्रतिपदा तिथि से कार्तिक पूर्णिमा तक प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से सुख, शांति और परिवार में समृद्धि का वास होता है। प्रतिदिनि तुलसी चौरा में दीप प्रज्वलित करें। नदियों में दीप प्रवाहित करके मंदिरों में दीपदान करना चाहिए।
कार्तिक माह में बातों का रखें विशेष ध्यान
इस महीने के दौरान कुछ नियमों का पालन करना भी आवश्यक है। जैसे, मछली और तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा करेला, बैंगन और विभाजित अनाज जैसे उड़द, चना, मसूर, मूंग, मटर का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। दही और जीरा का सेवन भी वर्जित है, जबकि मूली का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। इस महीने में अन्न और वस्त्र का दान करना भी पुण्य का कार्य माना जाता है।
दीपदान का मंत्र
दामोदराय विश्वाय विश्वरूप धराय च ।
नमस्कृत्वा प्रदास्यामि व्योमदीपं हरिप्रियम् ।
इन नियमों का पालन करें
– श्रीहरि मत्स्य अवतार में रहते हैं, इसलिए मछली, तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
– करेला, बैंगन और दो भागों में बंटा अनाज उड़द, चना, मसूर, मूंग, मटर ना खाएं।
– दही और जीरा का सेवन ना करें।
– मूली का सेवन, स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद।
– अन्न, वस्त्र का दान करें।