कृष्ण जन्माष्टमी हिंदूओं का एक प्रमुख त्योहार है। इसे कृष्ण जन्माष्टमी, गोकुलाष्टमी, कृष्णाष्टमी या श्रीजयंती के रूप में भी जाना जाता है। इस पर्व को लेकर सबसे ज्यादा उत्साह मथुरा, वृन्दावन और द्वारका में देखने को मिलता है। रक्षाबंधन के बाद अगस्त के महीने में ही जन्माष्टमी पर्व मनाया जाएगा।
By Ekta Sharma
Publish Date: Wed, 24 Jul 2024 02:55:54 PM (IST)
Updated Date: Wed, 24 Jul 2024 03:38:53 PM (IST)
HighLights
- भगवान कृष्ण की पूजा करने से समस्याएं दूर होती है।
- जन्माष्टमी पर कृष्ण के बाल स्वरूप को पूजा जाता है।
- इस व्रत को करने से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं।
धर्म डेस्क, इंदौर। Janmashtami Date 2024: रक्षाबंधन के बाद जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर्व भगवान कृष्ण को समर्पित होता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था।
हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान कृष्ण की विधि-विधान से पूजा करने से सभी समस्या दूर होती है। आइए, जानते हैं कि इस साल जन्माष्टमी पर्व कब मनाया जाएगा, इसका शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है।
जन्माष्टमी 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त – Janmashtami Subh Muhurat, Tithi 2024
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त को सुबह 3:40 पर शुरू होगी। यह अगले दिन 27 अगस्त को सुबह 2:19 पर समाप्त होगी। ऐसे में जन्माष्टमी व्रत 26 अगस्त सोमवार के दिन रखा जाएगा।
इस दिन पूजा के लिए शुभ समय मध्य रात्रि 12:02 से रात्रि 12:45 तक रहेगा। व्रत का पारण आप 27 अगस्त को सुबह 5:55 के बाद कर सकते हैं।
जन्माष्टमी महत्व
बता दें कि भगवान श्री कृष्ण, श्री हरि के सातवें अवतार हैं, जिन्होंने धर्म की स्थापना के लिए पृथ्वी पर जन्म लिया था। भगवान कृष्ण ने कंस का वध किया था। उन्होंने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की उपासना की जाती है।
जन्माष्टमी व्रत नियम – Janmashtami Vrat Niyam
- शास्त्रों में वर्णन किया गया है कि कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करने से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। इस व्रत को करने के दौरान कुछ नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। जन्माष्टमी के व्रत के दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए।
- जन्माष्टमी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद, अष्टमी तिथि के बाद या अष्टमी तिथि के समाप्त होने के बाद ही करना चाहिए।
- इस दौरान मन में किसी भी प्रकार के गलत विचार नहीं लाना चाहिए।
- इस दिन मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन आदि चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
डिसक्लेमर
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