मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में घने जंगल में पहाड़ पर किले में ऐतिहासिक श्रीराम जानकी का मंदिर है। बांधवगढ़ का जंगल जब टाइगर रिजर्व बनाने के लिए सौंपा गया तब महाराजा मार्तंड सिंह ने सरकार के सामने शर्त रखी थी कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस मंदिर में श्रद्धालुओं को आने से नहीं रोका जाएगा।
By Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Sun, 25 Aug 2024 02:12:40 PM (IST)
Updated Date: Sun, 25 Aug 2024 02:12:40 PM (IST)
HighLights
- 14 किलोमीटर पैदल चलकर मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं श्रद्धालु।
- हर साल एक दिन के लिए यहां वन्यजीव एक्ट भी शिथिल हो जाता है।
- जन्माष्टमी पर रीवा राज घराने के सदस्य पूजन करने के लिए आते हैं।
नईदुनिया प्रतिनिधि, उमरिया। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पूरे देश में कान्हा का पूजन होता है, लेकिन बाघों के साम्राज्य बांधवगढ़ में भगवान श्रीराम कान्हा के रूप में और माता सीता राधा रानी के रूप में पूजी जाती हैं। बांधवगढ़ के घने जंगल में पहाड़ के ऊपर किले के अंदर हजारों साल पुराना श्रीराम जानकी का मंदिर है, जो साल में सिर्फ एक बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन खोला जाता है।
राजघराने के सदस्य आते हैं पूजन के लिए
इस दौरान यहां रीवा राज घराने के सदस्य पूजन करने के लिए आते हैं और श्रद्धालु 14 किलोमीटर पैदल चलकर दर्शन करने पहुंचते हैं। मंदिर में भगवान राम जानकी की एक झलक पा लेने के बाद पैदल चलकर आने वालों की सारी थकावट दूर हो जाती है और वे उसी गति के साथ वापस नीचे आ जाते हैं।
जंगल सरकार को सौंपा- तो रखी शर्त
कभी बघेल शासकों की शिकारगाह रहा बांधवगढ़ का जंगल जब टाइगर रिजर्व बनाने के लिए सौंपा गया, तब महाराजा मार्तंड सिंह ने सरकार के सामने शर्त रखी थी। शर्त यह थी कि किले में लगने वाले मेले की परंपरा को खत्म नहीं किया जाएगा और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर श्रद्धालुओं को यहां आने से नहीं रोका जाएगा। यही कारण है कि हर साल एक दिन के लिए यहां वन्यजीव एक्ट भी शिथिल हो जाता है।
पहाड़ पर किला, किले में मंदिर
- ताला गांव से लगभग 15 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर बने बांधवगढ़ नाम के किले में भगवान रामजानकी का मंदिर है।
- मंदिर में भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता विराजमान है। मंदिर की स्थानपना रीवा रियासत के समय कराई गई थी।
- तब बांधवगढ़ रीवा रियासत की एक अन्य राजधानी हुआ करता था। 1970 के दशक में जब बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व बन गया, तब यहां लोगों का प्रवेश वर्जित हो गया।
- अब साल में सिर्फ एक दिन कृष्ण जन्माष्टमी पर यह मंदिर आम लोगों के दर्शनों के लिए खोला जाने लगा है।
भगवान श्रीराम का उपहार
बाघों की घनी आबादी के लिए मशहूर मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के बीचो-बीच पहाड़ पर मौजूद है बांधवगढ़ का ऐतिहासिक किला। इस किले के नाम के पीछे भी पौराणिक गाथा है। कहते हैं भगवान राम ने वनवास से लौटने के बाद अपने भाई लक्ष्मण को ये किला तोहफे में दिया था। इसीलिए इसका नाम बांधवगढ़ यानि भाई का किला रखा गया है।
पौराणिक ग्रंथों में भी है जिक्र
जानकारों का कहना है कि इस किले का जिक्र पौराणिक ग्रंथों में भी है, स्कंध पुराण और शिव संहिता में इस किले का वर्णन मिलता है। बांधवगढ़ की जन्माष्टमी सदियों पुरानी है, पहले ये रीवा रियासत की राजधानी थी, तभी से यहां जन्माष्टमी का पर्व धूमधूम से मनाया जाता रहा है। यहां आज भी इलाके के लोग उस परंपरा का पालन कर रहे हैं।