भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।
By Ekta Sharma
Publish Date: Sun, 21 Apr 2024 12:52 PM (IST)
Updated Date: Sun, 21 Apr 2024 12:52 PM (IST)
HighLights
- इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई से शुरू होने जा रही है।
- इस विशेष अवसर पर भगवान जगन्नाथ की पूजा की जाती है।
- ऐसा करने से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं।
धर्म डेस्क, इंदौर। Jagannatha Ratha Yatra 2024: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा को रथ महोत्सव और गुंडिचा यात्रा के नाम से भी जाना जाता है। इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई से शुरू होने जा रही है। शास्त्रों के अनुसार, इस विशेष अवसर पर भगवान जगन्नाथ की पूजा की जाती है। ऐसा करने से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। आइए, जानते हैं कि हर साल क्यों जगन्नाथ रथ यात्रा क्यों आयोजित की जाती है।
इस कारण निकाली जाती है रथ यात्रा
पद्म पुराण के अनुसार, एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर भ्रमण की इच्छा व्यक्त की। इसके लिए भगवान जगन्नाथ ने सुभद्रा को रथ पर बैठाया और उन्हें नगर दिखाया। इस दौरान वह अपनी मौसी के घर भी गए। जहां वह सात दिनों तक रहे। ऐसा माना जाता है कि तब से हर साल भगवान जगन्नाथ को निर्वासित करने की परंपरा जारी है।
जगन्नाथ रथ यात्रा की खासियत
- भगवान जगन्नाथ के रथ में 16 पहिये होते हैं। रथ को शंखचूड़ की रस्सी से खींचा जाता है। रथ को बनाने में नीम की लकड़ी का उपयोग किया जाता है।
- इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और देवी सुभद्रा तीन विशाल और भव्य रथों पर विराजित किए जाते हैं। सबसे आगे बलराम जी का रथ चलता है, बीच में बहन सुभद्रा होती हैं और पीछे भगवान जगन्नाथ जी का रथ चलता है।
- रथ को बनाने में कील का उपयोग नहीं किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, किसी भी आध्यात्मिक कार्य में कील या कांटों का प्रयोग करना अशुभ माना जाता है।
- बता दें कि भगवान बलराम और देवी सुभद्रा का रथ लाल रंग का होता है और भगवान जगन्नाथ का रथ लाल या पीले रंग का होता है।
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