बुद्धि और रिद्धि-सिद्धि के प्रतीक सृष्टि के प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश का आह्वान ओम एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात, इस मंत्र से आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। प्रथम पूज्य गणपति भगवान को सफेद रंग के फूल, वस्त्र, सफेद जनेऊ, सफेद चंदन आदि नहीं चढ़ाना चाहिए। केतकी का पुष्प जिस तरह भालेनाथ को नहीं चढ़ता, वैसे ही श्रीगणेश को भी नहीं चढ़ता।
By Surendra Dubey
Publish Date: Fri, 06 Sep 2024 08:44:02 AM (IST)
Updated Date: Fri, 06 Sep 2024 08:44:02 AM (IST)
HighLights
- जिस चौकी पर विराजमान करें गंगाजल से शुद्ध अवश्य करें।
- श्री गणेश की दाहिनी ओर माता गौरी का आह्वान करना चाहिए।
- दूर्वा अर्पण के साथ लड्डू और मोदक का भोग अवश्य लगाएं।
सुरेन्द्र दुबे, नईदुनिया, जबलपुर (Ganesh Chaturthi 2024)। बुद्धि और रिद्धि-सिद्धि के प्रतीक सृष्टि के प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश की चतुर्थी आसन्न है। अतएव, श्रीगणेश के विग्रह की स्थापना व पूजन-अर्चन से संबंधित मूलभूत जानकारियां अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। धार्मिक-विधान और वास्तुशास्त्र की दृष्टि से श्रीगणेश का विग्रह ईशान कोण में स्थपित किया जाना चाहिए। जिस चौकी पर बप्पा को विराजमान करना है, पहले उसे गंगाजल छिड़ककर शुद्ध अवश्य कर लेना चाहिए।
भगवान श्रीगणेश के मूलमंत्र के जाप से अविलंब दिव्य कृपा
संस्कारधानी के धार्मिक विषयों के ज्ञाताओं ने बताया कि श्रीगणेश का आह्वान ओम एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात, इस मंत्र से किया जाना चाहिए। भगवान श्रीगणेश के इस मूलमंत्र के जाप से अविलंब दिव्य कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
श्री गणेश की दाहिनी ओर माता गौरी का आह्वान करना चाहिए
ओम भूर्भुवः स्वः सिद्धिबुद्धिसहिताय गणपतये नमः, गणपतिमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि च, इस मंत्र से आह्वान करते हुए हाथ के अक्षत को श्रीगणेश के विग्रह पर चढ़ा देना चाहिए। पुनः अक्षत लेकर श्री गणेश की दाहिनी ओर माता गौरी का आह्वान करना चाहिए।
तीन बार आचमन करते हुए माथे पर तिलक लगाएं
श्री गणेश भगवान की प्रतिमा की पूर्व दिशा में कलश-स्थापना करें। गणपति की प्रतिमा के दाएं-बाएं रिद्धि-सिद्धि को भी स्थापित करें और साथ में एक-एक सुपारी रखें। अपने ऊपर जल छिड़कते हुए ओम पुण्डरीकाक्षाय नमः मंत्र का जाप करें। भगवान गणेश को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करते हुए माथे पर तिलक लगाएं।
दूर्वा अर्पण के साथ लड्डू और मोदक का भोग अवश्य लगाएं
श्रीगणेश की पूजा में लाल रंग के पुष्प, फल, और लाल चंदन का प्रयोग अवश्य करें। श्री गणेश भगवान की पूजा में दूर्वा, फूल, फल, दीपक, अगरबत्ती, चंदन और सिंदूर का भी प्रयोग करें। इसके साथ ही श्रीगणेश को अतिशय प्रिया लड्डू और मोदक का भोग लगाना कभी न भूलें। ककड़ा और केला के अलावा पंजीरी का भोग भी श्रीगणेश को पसंद है। इसका प्रसाद भक्तों में वितरित करने से वे प्रसन्न होते हैं।
10 दिवसीय पूजन में ओम गं गणपतये नम: मंत्र जपें
श्रीगणेश चतुर्थी से अनंत चतुदर्शी तक 10 दिवसीय गणपति-पूजन में भगवान गणेश के मंत्र ओम गं गणपतये नमः का जाप करने से सुख, शांति, स्वास्थ्य व समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसी तरह वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विध्नं कुरूमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा और गजाननंत भूतगणदि सेविंतं कपित्थजम्बूफलचारूभक्षणम, उमासुतं शोक विनाशकारकम, नमामि विध्नेश्वर पाक पंकजम, मंत्र को नित उच्चारण करने से श्रीगणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जय गणेश-जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा, इस आरती का सस्वर पाठ करने से घर में खुशहाली आती है।
श्रीगणेश को ये वस्तुएं अर्पित न की जाएं
प्रथम पूज्य गणपति भगवान को सफेद रंग के फूल, वस्त्र, सफेद जनेऊ, सफेद चंदन आदि नहीं चढ़ाना चाहिए। श्री गणेश की पूजा में मुरझाए और सूखे फल का प्रयोग न हो। इसी तरह श्रीगणेश को टूटा हुआ खंडित चावल न चढ़ाकर सदैव अक्षत यानि साबुत चावल अर्पित करना चाहिए। भगवान श्रीगणेश को तुलसी भी अर्पित नहीं की जाती। केतकी का पुष्प जिस तरह भालेनाथ को नहीं चढ़ता, वैसे ही श्रीगणेश को भी नहीं चढ़ता।