हरेला उत्तराखंड का लोकपर्व है। यह भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन से फसलों की बोवनी की जाती है और किसान अच्छी फसल के लिए भोलेनाथ का पूजन करते हैं। इस दिन घरों को सजाया जाता है और विशेष व्यंजन भी बनाए जाते हैं। हरेला पर्व से ही उत्तराखंड में सावन माह की शुरुआत हो जाती है।
By Bharat Mandhanya
Publish Date: Tue, 16 Jul 2024 09:57:16 AM (IST)
Updated Date: Tue, 16 Jul 2024 09:57:16 AM (IST)
HighLights
- उत्तराखंड में मनाया जाता है हरेला पर्व
- प्रकृति के प्रतीक हैं भगवान भोलेनाथ
- किसान अच्छी फसल की करते हैं प्रार्थना
Harela Parv 2024 धर्म डेस्क, इंदौर। भगवान शिव के अति प्रिय सावन माह की शुरुआत 22 जुलाई से होने जा रही है, इस दिन से भोलेनाथ के विशेष अनुष्ठान भी शुरू हो जाएंगे। वहीं, उत्तराखंड में सावन को लेकर अलग मान्यता है। यहां हरेला पर्व से सावन माह की शुरुआत मानी जाती है। आपको बताते हें हरेला पर्व क्या है और इसका भगवान शिव से क्या संबंध है।
कब मनाया जाएगा हरेला पर्व
उत्तराखंड में आज हरेला पर्व मनाया जाएगा। माना जाता है कि राज्य में सावन एक सप्ताह पहले ही शुरू हो जाता है। ऐसे में उत्तराखंड के निवासी सावन के पहले दिन को हरेला पर्व के रूप में मनाकर हरियाली के प्रति कृतज्ञता जताते हैं। इस दिन घरों को फूल-पत्तियों से सजाया जाता है और किसान अच्छी फसल के लिए भोलेनाथ से प्रार्थना करते हैं। इस दिन भात और मसूर की दाल बनाई जाती है।
भगवान शिव से क्या है संबंध
दरअसल, भगवान शिव को प्रकृति का प्रतीक माना गया है और उन्हें खेती का देवता भी कहा जाता है। हरेला पर्व से कई फसलों की बोवनी भी शुरू होती है, ऐसे में हरेला पर्व को महादेव से जोड़कर देखा गया है। इस दिन भगवान शिव के साथ मां पार्वती का पूजन किया जाता है। एक मान्यता यह भी है कि हरेला पर्व सावन के प्रथम दिन मनाया जाता है और यह माह भगवान शिव को समर्पित है। ऐसे में हरेला पर्व पर भोलेनाथ का पूजन किया जाता है।
कर्क राशि में प्रवेश करेंगे सूर्य
मान्यता है कि हरेला पर्व पर सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करते हैं। ऐसे में उत्तराखंडवासी इससे नौ दिन पूर्व ही मिट्टी या बांस की बनी टोकरी में पांच या सात प्रकार के अनाज बोए बोते हैं और हरेला पर्व पर बुजुर्गों से इसकी कटाई करवाई जाती है।
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