रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्धि और रवियोग के महासंयोग… दोपहर से शाम तक शुभ मुहूर्त


उज्‍जैन के ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार श्रावणी पूर्णिमा के दिन श्रवण नक्षत्र का पूजन विशेष माना जाता है, उस पर भी अगर सोमवार का दिन हो तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। इस बार शास्त्रीय मान्यता की यह तीनों स्थितियां एक साथ बन रही है। इस बार 19 अगस्त को सुबह से दोपहर 1.30 बजे तक पाताल वासनी भद्रा रहेगी।

By Rajesh Verma

Publish Date: Thu, 25 Jul 2024 07:50:01 AM (IST)

Updated Date: Thu, 25 Jul 2024 07:50:01 AM (IST)

HighLights

  1. भगवान का पूजन व राखी बांधने के लिए साढ़े पांच घंटे सर्वश्रेष्ठ समय ।
  2. इस बार श्रावणी पूर्णिमा 19 अगस्त को सोमवार के दिन मनाई जाएगी।
  3. सोमवार के दिन श्रवण नक्षत्र की साक्षी भी बना रही शुभ दिन को खास।

श्रावणी पूर्णिमा पर 19 अगस्त को रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाएगा। इस बार राखी पर सर्वार्थ सिद्धि व रवियोग का महासंयोग रहेगा। शुभ मुहूर्त में दोपहर 1.30 से शाम 7 बजे तक तक साढ़े पांच घंटे श्रावण भगवान का पूजन व राखी बांधने का सर्वश्रेष्ठ समय रहेगा। ज्योतिषियों के अनुसार सोमवार के दिन श्रवण नक्षत्र की साक्षी भी इस शुभ दिन को खास बना रही है।

उज्‍जैन के ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया भारतीय ज्योतिष शास्त्र में वार, तिथि, योग, नक्षत्र व करण का अपना विशेष प्रभाव होता है। पंचांग के इन्हीं पांच अंगों से किसी भी त्यौहार की श्रेष्ठ स्थित तथा पर्व को खास बनाने वाले योगों का निर्धारण होता है। इस बार श्रावणी पूर्णिमा 19 अगस्त को सोमवार के दिन श्रवण उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र तथा शोभन योग की साक्षी में आ रही है। सोमवार के दिन श्रवण नक्षत्र के होने से सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है।

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  • श्रावणी पूर्णिमा के दिन श्रवण नक्षत्र का पूजन विशेष माना जाता है
  • उस पर भी अगर सोमवार का दिन हो तो यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
  • इस बार शास्त्रीय मान्यता की यह तीनों स्थितियां एक साथ बन रही है।
  • विशेष यह भी है कि रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ रवि योग का अनुक्रम भी बन रहा है।
  • साथ इस ग्रहों के केंद्र त्रिकोण संबंध भी इस दिन को खास बना रहे हैं।
  • यह स्थिर समृद्धि व धार्मिक उन्नति के सूचक हैं।
  • इस दृष्टि से रक्षाबंधन का त्यौहार भाई तथा बहनों के लिए विशेष शुभकारी रहेगा।

दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक भद्रा

अनेकों बार रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया रहता है। आमतौर पर विद्वान शुभ, मांगलिक कार्यों में भद्रा का समय छोड़ने की राय देते हैं, लेकिन भद्रा के कई भेद हैं, इस बार 19 अगस्त को सुबह से दोपहर 1.30 बजे तक पाताल वासनी भद्रा रहेगी। इसके बाद से शाम 7 बजे तक साढ़े पांच घंटे राखी बांधने का शुभ मुहूर्त रहेगा। इस समय में नवीन प्रतिष्ठान का शुभारंभ करना भी अच्छा माना जा रहा है।

ऋग्वेदी व यजुर्वेदियों का श्रावणी उपाकर्म

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर ऋग्वेदियों एवं यजुर्वेदियों का उपाकर्म होगा। वर्षभर की ज्ञात-अज्ञात प्रायश्चित के लिए इस दिन तीर्थ पर पंचगव्य प्राशन तथा 10 विधि स्नान आदि की परंपरा है।

श्रवण भगवान के पूजन का विशेष दिन

धर्मशास्त्र में श्रावण मास की उत्पत्ति श्रवण नक्षत्र से मानी गई है। इसीलिए श्रावणी पूर्णिमा पर श्रवण नक्षत्र की साक्षी विशेष है। इस दिन श्रवण नक्षत्र के अधिपति भगवान विष्णु के पूजन की मान्यता है। मालवा की लोक परंपरा में महिलाएं दीवार पर गेरू से श्रवण भगवान का अंकन कर विधिवत पूजा अर्चना करती हैं।

श्रावण की आखिरी सवारी भी इस दिन

19 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन श्रावण मास में भगवान महाकाल की आखिरी सवारी निकलेगी। इसके बाद 26 अगस्त को भादौ मास की पहली तथा 2 सितंबर को श्रावण-भादौ मास की शाही सवारी निकलेगी।

इस बार श्रावणी पूर्णिमा 19 अगस्त को सोमवार के दिन श्रवण उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र तथा शोभन योग की साक्षी में आ रही है। सोमवार के दिन श्रवण नक्षत्र के होने से सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है।

-ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला



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