Dhanteras Muhurat 2024: धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग में तीन गुना फल देगी खरीदारी, बाजारों ने की खास तैयारी


दीपावली पर्व की शुरुआत 29 अक्टूबर धनतेसर से होगी, पुष्य नक्षत्र के बाद यह खरीदारी के लिए बड़ा मुहूर्त माना जाता है। धनतेरस के दिन सोना-चांदी, वाहन, मकान सहित अन्य वस्तुओं की खरीदारी करना बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है।

By Prashant Pandey

Publish Date: Sat, 26 Oct 2024 11:46:38 AM (IST)

Updated Date: Sat, 26 Oct 2024 02:24:54 PM (IST)

धनतेरस पर है खरीदी का महामुहूर्त।

HighLights

  1. त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्टूबर मंगलवार को सुबह 10.31 से होगी।
  2. इसके बाद अगले दिन 30 अक्टूबर को यह तिथि दोपहर 1.15 बजे तक रहेगी।
  3. धनतेरस पर वृश्चिक राशि में बुध के आने लक्ष्मीनारायण योग भी निर्मित होगा।

नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर (Dhanteras 2024)। गुरु पुष्य के बाद दीपावली से पहले खरीदारी का दूसरा महामुहूर्त धनतेरस 29 अक्टूबर को रहेगा। इस दिन खरीदारी का तीन गुना लाभ देने वाला त्रिपुष्कर के साथ ही लक्ष्मीनारायण योग भी बनेगा।

ज्योतिर्विदों के अनुसार इस दिन सोना-चांदी, बर्तन के साथ भूमि-भवन, इलेक्ट्रानिक सामग्री के साथ ही सभी प्रकार की चल-अचल संपति की खरीदी में निवेश लाभप्रद होगा। खरीदारों की अगवानी के लिए इस दिन की खास तैयारी शहर के बाजारों में की गई है।

त्रयोदशी तिथि की शुरुआत सुबह 10.31 से होगी

ज्योतिर्विद् आचार्य शिवप्रसाद तिवारी के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्टूबर मंगलवार को सुबह 10.31 से 30 अक्टूबर को दोपहर 1.15 बजे तक रहेगी। इस दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है। इसमें किए गए कार्य के प्रभाव को तीन गुना बढ़ा देता है।

इस योग में शुभ कार्यों को करना उत्तम माना जाता है। साथ ही ऐसे कार्यों, जिसमें हानि संभावित हो उन्हें करने से बचना चाहिए। इसके अतिरिक्त शुक्र पहले से वृश्चिक राशि में है, जबकि धनतेरस पर वृश्चिक राशि में बुध के आने लक्ष्मीनारायण योग भी निर्मित होगा।

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खरीदारी के लिए चौघड़िया

  • चर : सुबह 9.18 से 10.41 बजे तक।
  • लाभ : सुबह 10.41 से दोपहर 12.05 और शाम 7.15 से 8.51 बजे तक।
  • अमृत : दोपहर 12.05 से 1.28 बजे तक।
  • शुभ : दोपहर 2.51 से 4.15 बजे तक।

प्रदोषकाल में पूजन मुहूर्त 1 घंटा 31 मिनट

धनतेरस से पंच पर्व की शुरुआत होगी। ज्योतिर्विद् विनायक भार्गव ने बताया कि भगवान धन्वंतरि के अतिरिक्त सुख-समृद्धि के लिए धन लक्ष्मी और कुबेर का पूजन किया जाता है। इसके साथ अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए यम दीप दान करते हैं।

लक्ष्मी-कुबेर पूजन के साथ यम दीप दान के लिए प्रदोषकाल में शाम 6.31 से रात 8.13 बजे तक 1 घंटा 42 मिनट का श्रेष्ठ समय है। प्रदोषकाल शाम 5.38 से रात 8.13 बजे तक रहेगा।

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इस बार मनाई जाएगी 6 दिन की दीवाली

इस बार दीवाली 6 दिन की मनाई जाएगी। 31 तारीख को प्रदोषकाल में लक्ष्मीजी का पूजन होगा। इसके बाद एक नवंबर को उदयातिथि में अमावस्या होगी। इसके बाद दूसरे दिन गो-पूजन होगा और भाईदूज भी मनाई जाएगी।



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