कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर देव दीपावली मनाई जाती है। मान्यता है कि पूरे कार्तिक महीने का व्रत करके कुंवारी युवतियां यदि कार्तिक पूर्णिमा के दिन नदी किनारे स्थित शिव मंदिर पर दीप दान करती हैं तो उनको भगवान शंकर जैसा वर मिलता है।
By Arvind Dubey
Publish Date: Fri, 15 Nov 2024 08:30:44 AM (IST)
Updated Date: Fri, 15 Nov 2024 10:59:29 AM (IST)
HighLights
- देव दीपावली पर पवित्र नदी में स्नान का महत्व
- शाम को बड़ी संख्या में श्रद्धालु दीपदान करेंगे
- शाम 5.10 से 7.47 बजे तक मनेगी देव दीवाली
धर्म डेस्क, इंदौर (Dev Deepawali 2024)। सनातन धर्म में देव दीपावली का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। इस बार देव दीपावली का पर्व 15 नवंबर को मनाया जा रहा है। यह त्योहार सनातन धर्मलम्बियों में बहुत ही धूमधाम एवं श्रद्धाभाव से मनाया जाता है।
मध्य प्रदेश के आष्टा के पंडित मनीष पाठक ने बताया कि इस दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया गया। इसी की खुशी में इस त्यौहार को मनाया जाता है। देव दीपावली के दिन श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और शाम के समय दीये जलाए जाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवता गण स्वर्ग से पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं।
देव दीवाली का शुभ मुहूर्त
- ज्योतिषाचार्य पंडित डॉ. दीपेश पाठक के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा की तिथि 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 16 नवंबर को देर रात 2 बजकर 58 मिनट पर होगा। सनातन में उदया तिथि का महत्व है।
- 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा व देव दीपावली मनाई जाएगी। इस दिन 2 घंटे 37 मिनट तक का शुभ मुहूर्त रहेगा। प्रदोष काल में शाम 5 बजकर 10 मिनट से शाम 7 बजकर 47 मिनट तक देव दीपावली मनाई जाएगी।
ऐसे करें देव दीपावली पूजा
पंडित पाठक ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। इस दिन गंगा नदी या किसी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है। यदि किसी वजह से आप पवित्र नदी में स्नान के लिए नहीं जा पा रहे हैं, तो घर के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें।
सुबह के समय मिट्टी के दीपक में घी या तिल का तेल डालकर दीपदान करें। भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें। पूजा के समय भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। घर के कोने-कोने में दीपक जलाएं।
शाम के समय भी किसी मंदिर में दीपदान करें। इस दिन श्री विष्णु सहस्रनाम, विष्णु चालीसा का पाठ करें। आरती से पूजा को समाप्त करें। पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।