मध्य प्रदेश के उज्जैन के गोपाल मंदिर की पूजन परंपरा में जन्माष्टमी से बछबारस तक शयन आरती नहीं होती है। मंदिर की ऐसी मान्यता है बाल गोपाल के सोने व जागने का समय निश्चित नहीं होता है, ऐसे में शयन आरती नहीं की जाती है।
By Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Wed, 28 Aug 2024 01:21:38 PM (IST)
Updated Date: Wed, 28 Aug 2024 02:12:53 PM (IST)
HighLights
- उज्जैन के गोपाल मंदिर की है अनूठी परंपरा।
- सांदीपनि आश्रम और इस्काॅन में मना नंदोत्सव।
- जन्माष्टमी से बछबारस तक शयन आरती नहीं।
जन्माष्टमी के अगले दिन उज्जैन शहर के श्रीकृष्ण मंदिरों में नंद महोत्सव मनाया गया। लड्डू गोपाल पालना झूले तथा भक्तों को पंजेरी महाप्रसादी का वितरण किया गया। सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट के गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण जन्म के बाद शयन आरती नहीं हुई, अब बछ-बारस पर दोपहर 12 बजे मंदिर में माखन मटकी फोड़ी जाएगी। इसके बाद शयन आरती होगी।
दोपहर 12 बजे होती है शयन आरती
गोपाल मंदिर की पूजन परंपरा में जन्माष्टमी से बछबारस तक शयन आरती नहीं होती है। मान्यता है बाल गोपाल के सोने व जागने का समय निश्चित नहीं होता है, ऐसे में शयन आरती नहीं होती है। बछ बारस पर भगवान बड़े हो जाते हैं और लीला करते हुए माखन मटकी फोड़ते हैं। इसके बाद दिन में दोपहर 12 बजे शयन आरती की जाती है।
30 अगस्त को मनाई जाएगी बछ-बारस
भगवान जन्म से पांचवें दिन शयन करते हैं। इस बार 30 अगस्त को बछ-बारस मनाई जाएगी। दोपहर 12 बजे बाल गोपाल का रूप धारण किए किशोर मंदिर के मुख्य द्वार पर बंधी माखन मटकी फोड़ेंगे। इसके बाद शयन आरती होगी।
इस्कान मंदिर में श्रील प्रभुपादजी का अभिषेक किया गया।
श्रील प्रभुपाद का आविर्भाव दिवस मनाया
भरतपुरी स्थित इस्कान मंदिर में मंगलवार सुबह नंद उत्सव व संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपादजी का 128 वां आविर्भाव दिवस मनाया गया। सुबह 9.30 बजे सुरभि माताजी, परम पूज्य भक्तिधीर दामोदर स्वामीजी महाराज तथा भक्तिप्रेम स्वामीजी महाराज द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। महाअभिषेक, आरती के बाद महाप्रसादी का आयोजन हुआ।
सांदीपनि आश्रम : भक्तों ने भगवान को पालना झुलाया
उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में विराजित भगवान बलराम,श्रीकृष्ण, सुदामा की प्रतिमा।
भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम में मंगलवार सुबह नंद महोत्सव मनाया गया। भगवान की बाल लीला के दर्शन करने पहुंचे भक्तों ने उन्हें झूला भी झुलाया। लल्ला के जन्म की खुशी में महिलाएं बधाइयां गाते हुए नृत्य कर रही थीं। पुजारी पं.रूपम व्यास ने बताया श्रीकृष्ण जन्म के बाद जलझूलनी एकादशी पर जलवा पूजन होगा। बाल गोपाल को झांझ डमरू की मंगल ध्वनि के साथ आश्रम परिसर स्थित गोमती कुंड में स्नान के लिए ले जाया जाएगा।