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पितृ पक्ष की शुरुआत इस बार 17 दिसंबर से हुई है। 2 अक्टूबर, बुधवार को सर्वपितृ अमावस्या मनाई जाएगी। मान्यता अनुसार, श्राद्ध पक्ष के दौरान आपके पूर्वज किसी भी रूप में आपके द्वार पर आ सकते हैं। इसलिए घर आए किसी भी व्यक्ति का निरादर नहीं करना चाहिए।
By Arvind Dubey
Publish Date: Sun, 22 Sep 2024 09:04:06 AM (IST)
Updated Date: Sun, 22 Sep 2024 09:04:06 AM (IST)

HighLights
- पितरों को समर्पित है 16 दिन का श्राद्ध पक्ष
- इस दौरान किया जाता है तर्पण व पिंडदान
- शनिवार को पितृ पक्ष की चतुर्थी तिथि थी
धर्म डेस्क, इंदौर (Pitru Paksha 2024)। देशभर में पितृ पक्ष मनाया जा रहा है। सनातन धर्म में इन 16 दिनों का विशेष महत्व है। शनिवार को पितृ पक्ष की चतुर्थी तिथि पर किसी भी मास की शुक्ल या कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को दिवंगत पितरों का श्रद्धा के साथ तिल-जवा व पकवानों से श्राद्ध किया गया।
इसी दिन गत वर्ष दिवंगत पितरों को भी श्रद्धा के साथ भोजन-पानी दिया गया। लोगों ने नदी तटों और जलाशयों में सुबह से तर्पण किया। धर्म कर्म की दृष्टि से इस पक्ष को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में पूर्वज पृथ्वी का भ्रमण करते हैं। इसलिए इस महीने दान-धर्म का विशेष महत्व बताया गया है।
श्वेत पुष्प किए अर्पित
पितृ पक्ष में पिंडदान का भी महत्व है। चतुर्थी को पितरों के श्राद्ध में चावल, गाय का दूध, घी, गुड़ और शहद को मिलाकर बने पिंडों को पितरों को अर्पित किया गया। इसके साथ ही जल में काले तिल, जौ, कुशा, सफेद फूल मिलाकर तर्पण किया गया। चतुर्थी श्राद्ध पर श्वेत फूल विशेष रूप से अर्पित किए गए। इसके बाद ब्राह्मण भोज कराया गया।
आज है पंचमी श्राद्ध
- पंचमी तिथि का श्राद्ध 22 सितंबर को किया जा रहा है। पंचमी तिथि में उन लोगों को श्राद्ध किया जायेगा, जिनका स्वर्गवास किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हुआ हो।
- इसके अलावा अविवाहित ही देहत्याग करने वाले पितरों का भी तर्पण किया जाएगा। इस तिथि में श्राद्ध करने से पितर तृप्त होकर अपने आशीर्वाद से मनोकामना पूरी करते हैं।
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