5 Days Of Diwali: दीपोत्सव में 5 अलग-अलग देवताओं का होगा पूजन… आरोग्य, ऐश्वर्य और उन्नति के लिए करें ये उपाय


धनतेरस से दीप पर्व की शुरुआत होगी। इस बार भौम प्रदोष के महासंयोग में धनतेरस मनाई जाएगी। इस दिन भगवान धन्वंतरि के साथ ही धन के देवता कुबेर की पूजा होती है। इसके अगले दिन नरक चतुर्दशी होती है, जिसमें ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का महत्व है।

By Arvind Dubey

Publish Date: Mon, 28 Oct 2024 09:37:45 AM (IST)

Updated Date: Mon, 28 Oct 2024 09:37:45 AM (IST)

भगवान गणेश, माता लक्ष्मी व कुबेर देवता।

HighLights

  1. दीवाली पर प्रदोष काल में माता लक्ष्मी का पूजन
  2. गोवर्धन पूजा दीपावली के एक दिन बाद होगी
  3. भाई दूज पर सुने यमराज व बहन यमी की कथा

धर्म डेस्क, इंदौर। आरोग्य, ऐश्वर्य, उन्नति व प्रकाश का पांच दिवसीय पर्व दीपावली मंगलवार को धनत्रयोदशी के साथ शुरू होगा। भाई दूज तक चलने वाले उत्सव में पांच दिन पांच अलग-अलग देवताओं का पूजन किया जाएगा।

इस बार तिथि मतांतर के कारण नर्कहरा चतुर्दशी व दीपावली एक ही दिन है। वहीं, गोवर्धन पूजा दीपावली के एक दिन बाद 2 नवंबर को होगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया पंचांगीय गणना व धर्मशास्त्र की मान्यता के अनुसार इन तारीखों में पांच त्योहार मनाना शुभ फलदायी रहेगा।

भौम प्रदोष के संयोग में धनत्रयोदशी

  • पंचांग की गणना के अनुसार, 29 अक्टूबर को भौम प्रदोष के महासंयोग में धनत्रयोदशी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान धन्वंतरि व धन के अधिष्ठात्र देवता कुबेर के पूजन की मान्यता है।
  • आयुर्वेद में आरोग्यता को उत्तम धन माना गया है, इसलिए सुबह भगवान धन्वंतरि तथा शाम को प्रदोष काल में कुबेर देवता का पूजन करें। इस दिन सोना, चांदी, तांबा, पीतल आदि की खरीदी का विशेष महत्व है।
  • इस दिन आयु, आरोग्य व अज्ञात भय की निवृत्ति के लिए यमराज के निमित्त दीपदान अवश्य करना चाहिए। तिल्ली के तेल का दीपक जलाने से यमराज की कृपा प्राप्त होती है। ऐसा करने से परिवार में अकाल मृत्यु नहीं होती है।

नर्कहरा चतुर्दशी, ब्रह्म मुहूर्त में करें स्नान

दीप पर्व का दूसरा दिन नर्कहरा चतुर्दशी अर्थात रूप चौदस के रूप में जाना जाता है। इस बार तिथि मतांतर के चलते रूप चतुर्दशी 31 अक्टूबर को सुबह मनाई जाएगी। इस दिन सूर्योदय से पहले तिल का उबटन लगाकर स्नान की मान्यता है। इसके बाद घर आंगन, गौशाला तथा मंदिर में दीपक लगाने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

प्रदोष काल में होगा माता लक्ष्मी का पूजन

दीपावली के दिन सुख, समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी के पूजन का विधान है। इस बार 31 अक्टूबर को प्रदोष काल व मध्य रात्रि में अमावस्या तिथि होने से यह दिन लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष है। शाम को भगवान गणेश, माता लक्ष्मी तथा कुबेर देवता का पूजन होगा।

गोवर्धन पूजा व अन्नकूट

दीप पर्व का चौथा दिन गोवर्धन पूजा का होता है। दीपावली के अगले दिन पड़वा पर सुबह गोधन व गोवर्धन की पूजा की जाती है। इस बार 31 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी, अगले दिन 1 नवंबर को भी सुबह के समय अमावस्या तिथि होने से 2 नवंबर को गिरिराज गोवर्धन की पूजा होगी। वैष्णव मंदिरों में अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा।

यम द्वितीया, भाई दूज

भाई दूज के साथ पांच दिवसीय दीप पर्व का समापन होगा। इस बार 3 नवंबर को भाई दूज मनाई जाएगी। इस दिन भाई बहनों के घर जाकर उनका आतिथ्य स्वीकार करेंगे।

बहनें भाई के दीर्घायु जीवन के लिए उन्हें मंगल तिलक लगाएंगी। इस त्यौहार को मनाने के पीछे यमराज व उनकी बहन यमी की धर्मकथा प्रमुख है। मान्यता है इस दिन भाई व बहनों को यमराज दीर्घायु प्रदान करते हैं।



Source link

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
Exit mobile version