शास्त्रों में भगवान विष्णु को समर्पित कुछ विशेष मंत्रों के बारे में बताया गया है। एकादशी के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जाप करने से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं।
By Ekta Sharma
Publish Date: Sat, 02 Mar 2024 04:17 PM (IST)
Updated Date: Sat, 02 Mar 2024 04:17 PM (IST)
HighLights
- यह तिथि फाल्गुन माह में इस बार 6 मार्च को पड़ रही है।
- इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा और व्रत रखने की परंपरा है।
- भगवान विष्णु की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
धर्म डेस्क, इंदौर। Vijaya Ekadashi 2024: सनातन धर्म में भगवान विष्णु की पूजा बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है। भगवान विष्णु के लिए हर महीने में एकादशी का व्रत रखा जाता है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह तिथि फाल्गुन माह में इस बार 6 मार्च को पड़ रही है। विजया एकादशी पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा और व्रत रखने की परंपरा है।
ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में भगवान विष्णु को समर्पित कुछ विशेष मंत्रों के बारे में बताया गया है। एकादशी के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जाप करने से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है।
विजया एकादशी शुभ मुहूर्त
सनातन धर्म में एकादशी की तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, विजया एकादशी तिथि 6 मार्च को सुबह 6.30 बजे शुरू होगी। यह अगले दिन यानी 7 मार्च को 04:13 बजे समाप्त होगी। विजया एकादशी का व्रत 6 फरवरी को रखा जाएगा।
एकादशी व्रत के प्रभावशाली मंत्र
1. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
2. ॐ नारायणाय विद्महे।
वासुदेवाय धीमहि ।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
3. ॐ विष्णवे नम:
4. धन-समृद्धि मंत्र
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो , मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि ।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि ।
5. लक्ष्मी विनायक मंत्र
दन्ता भये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृता ब्जया लिंगितमब्धि पुत्रया,
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
6. विष्णु के पंचरूप मंत्र
ॐ अं वासुदेवाय नम:।।
ॐ आं संकर्षणाय नम:।।
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।।
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।।
ॐ नारायणाय नम:।।
ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
7. लक्ष्मी विनायक मंत्र
दन्ता भये चक्र दरो दधानं,
कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृता ब्जया लिंगितमब्धि पुत्रया,
लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’