मुंबई51 मिनट पहले
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मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 8 की वैल्यू बीते हफ्ते कंबाइंड रूप से 1,66,954.07 करोड़ रुपए (1.66 लाख करोड़ रुपए) कम हुई है। इस दौरान रिलायंस इंडस्ट्रीज की वैल्यूएशन में बड़ी गिरावट देखने को मिली।
हफ्ते भर में कारोबार के दौरान मुकेश अंबानी की कंपनी की वैल्यूएशन 33,930.56 करोड़ रुपए कम हुई है। अब कंपनी का मार्केट कैप 19.95 लाख करोड़ रुपए रह गया है। इससे पहले कंपनी का मार्केट कैप 20.29 लाख करोड़ रुपए था।
हिंदुस्तान यूनिलीवर की वैल्यू 12,946.24 करोड़ बढ़ी
रिलायंस के अलावा, LIC, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), टाटा कंस्लटेंसी सर्विसेज (TCS), इंफोसिस, , भारती एयरटेल, ICICI बैंक और HDFC बैंक की वैल्यूएशन में भी पिछले के कारोबार के दौरान गिरावट देखने को मिली। वहीं, हिंदुस्तान यूनिलीवर और ITC लिमिटेड का मार्केट कैप इस दौरान कंबाइंड रूप से 21,352 करोड़ रुपए बढ़ा है।
हिंदुस्तान यूनिलीवर का मार्केट कैप 12,946 करोड़ रुपए बढ़कर 6.46 लाख करोड़ रुपए हो गया है। वहीं, ITC की वैल्यूएशन 8,406 करोड़ बढ़कर 6.20 लाख करोड़ रुपए हो गई है।
पिछले हफ्ते 1,276 अंक गिरा बाजार
हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन 9 अगस्त को शेयर बाजार में तेजी देखने को मिली। सेंसेक्स 819 अंक की तेजी के साथ 79,705 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी में भी 250 अंक की बढ़त रही, ये 24,367 के स्तर पर बंद हुआ।
सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 27 में तेजी और 3 में गिरावट रही। निफ्टी के 50 शेयरों में से 45 में तेजी और 4 में गिरावट रही। पिछले हफ्ते के कारोबार में सेंसेक्स में टोटल 1,276 (1.57%) अंक की गिरावट रही थी।
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।
मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।