गुरुदत्त तिवारी7 मिनट पहले
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केंद्र सरकार ने हाल ही में केंद्रीय कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) की घोषणा की है। महाराष्ट्र ने भी अपने कर्मचारियों के लिए लागू करने का ऐलान किया है। अन्य राज्य भी इसी राह पर चल सकते हैं। ऐसे में पहले से जारी न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) और यूपीएस में से कौन फायदेमंद है, इसे लेकर बहस जारी है।
वित्तीय जानकारों का कहना है कि एनपीएस में जो पैसा पेंशन फंड में जमा होता है, उसका 60% एकमुश्त लौटा दिया जाता है। बाकी 40% से हर महीने 6.99% की दर से पेंशन दी जाती है। यूपीएस में यह राशि सरकार अपने पास रखकर पेंशन दे रही है। एनपीएस में एकमुश्त 60% राशि की बैंक में एफडी कर दें तो सालाना ब्याज से एनपीएस की पेंशन भी यूपीएस के बराबर हो जाएगी।
दूसरी तरफ, यूपीएस में आखिरी 12 महीनों के औसत मूल वेतन के 50% में डीआर (डियरनेस अलाउंस) मिलाकर पेंशन दी जाएगी। यह राशि एनपीएस के मुकाबले 10 गुना तक कम है। भास्कर की रिसर्च में यह बात सामने आई हैकि बेशक मौजूदा संरचना में यह सच है कि एकमुश्त राशि का अंतर बहुत बड़ा है। इसलिए पेंशन के पहले 10 साल में रिटायरमेंट बेनिफिट की गणना करते हैं तो एनपीएस लुभावनी लगती है।
हालांकि यूपीएस में सबसे बड़ा फायदा यह है कि ऐसे पेंशनर 1 अप्रैल 2026 से लागू होने वाले 8वें वेतनमान के हकदार होंगे। इससे उनकी पेंशन ढाई गुना तक बढ़ जाएगी। यह अंतर बहुत बड़ा है। इस आधार पर एनपीएस से यूपीएस में जाने वाले कर्मचारी फायदे में रहेंगे।
राज्यों का हाल
- मध्य प्रदेश : 1 जनवरी 2005 से एनपीएस लागू है। यूपीएस पर निर्णय नहीं। 7.5 लाख कर्मचारियों को पुरानी और 4.75 लाख को एनपीएस से पेंशन मिल रही है। यूपीएस में करीब 5.5 लाख कर्मचारी आएंगे।
- महाराष्ट्र : महाराष्ट्र यूपीएस लागू करने वाला पहला राज्य। 17 लाख कर्मचारी हैं। इनमें से 8.50 लाख एनपीएस से जुड़े हैं। वे यूपीएस के पात्र होंगे।
- राजस्थान : ओल्ड पेंशन स्कीम लागू है। 8 लाख कर्मचारियों को पुरानी योजना से पेंशन मिल रही है।
- छत्तीसगढ़ : अप्रैल-22 से ओल्ड पेंशन स्कीम लागू हुई। 3.98 लाख इसके दायरे में।
- हिमाचल प्रदेश : राज्य के सभी 1.30 लाख कर्मचारी पुरानी पेंशन पा रहे हैं।
- झारखंड : ओपीएस लागू। यूपीएस पर विचार नहीं।
- बिहार : फिलहाल यूपीएस लागू नहीं।