मध्यप्रदेश से बीज मंगवाकर गर्मियों में UP के किसान करें तिल की खेती
कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में एक नया शोध कार्य कर रहा है। तिल की फसल बहुत मुनाफे वाली होती है, अब गर्मियों में यूपी के किसान कर सकेंगे तिल की खेती। तिल की खेती गर्मी एवं सर्दी दोनों सीजन में कर सकते हैं। किसानों को आय को बढ़ाने का एक अच्छा मौका होगा। तिल की खेती आंध्र प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, और तेलंगाना में अधिक की जाती है।
उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए यह बहुत लाभकारी:
सब्जी विज्ञान विभाग के प्रभारी प्रोफेसर राम बटुक सिंह ने बताया कि सीएसए विश्वविद्यालय किसानों के लिए खेती करने के नए-नए तरीकों पर काम किया जा रहा है। तिल की फसल को गर्मियों में उगाने का काम कर रहा है। बताया गया कि यह प्रयोग सफल रहा तो उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए यह बहुत लाभकारी साबित होगा। गर्मी और सर्दी दोनों सीजनों में तिल की खेती कर सकते हैं।
मध्य प्रदेश से मंगाए तिल के बीज:
वैज्ञानिकों ने तिल को उगाने के लिए खास तरीके के बीज मध्य प्रदेश से मंगवाए हैं, जिसमें AVTS 1 से लेकर AVTS 16 तरह प्रजातियों के बीजों को शामिल किया गया है। इन प्रजातियों में सफेद और काले तिल दोनों के बीज शामिल है और यह प्रजाति लगभग 70 से 80 दिन में तैयार हो जाती है।
सबसे अधिक मध्य प्रदेश में तिल की खेती Sesame Cultivation:
प्रोफेसर राम बटुक के द्वारा मध्य प्रदेश में सबसे अधिक तिल की खेती की जाती है। ग्रीष्मकाल में भी तिल की फसल की अधिक पैदावार होती है। यहां पर भी गर्मियों में तिल की खेती करने की तैयारी की गई है। इसके लिए खास बीज मध्य प्रदेश से मंगाए गए हैं। इसके बीज चंद्रशेखर आजाद विश्वविद्यालय के प्रयोग के लिए भूमि में लगाया गया है। तिल का इस्तेमाल ज्यादातर तेल के निर्माण में किया जाता है।
तिल की खेती के लिये उपयुक्त मौसम: सब्जी विज्ञान विभाग के प्रभारी प्रोफेसर राम बटुक सिंह ने बताया कि तिल की खेती के लिए गर्म मौसम वाली उष्ण कटिबंधीय जलवायु की आवश्यक होती है। इसकी खेती अच्छे जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी में करना चाहिए। तिल की फसल के लिए अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है, इसकी खेती के लिये मिट्टी का पीएच मान 5.0-8.0 होना चाहिए। पौधे की अधिक पैदावार के लिए 25 से 27 डिग्री तापमान उपयुक्त होता है।