मुंबई35 मिनट पहले
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यूनिकॉमर्स ई-सॉल्यूशंस लिमिटेड का इनिशियल पब्लिक ऑफर यानी IPO 6 अगस्त को ओपन होगा। निवेशक 8 अगस्त तक इस IPO के लिए बिडिंग कर सकेंगे। 9 अगस्त को कंपनी के शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर लिस्ट होंगे।
इस इश्यू के जरिए कंपनी टोटल ₹276.57 करोड़ जुटाना चाहती है। इसके लिए कंपनी ₹276.57 करोड़ के 25,608,512 फ्रेश शेयर इश्यू कर रही है। कंपनी के मौजूदा निवेशक ऑफर फॉर सेल यानी OFS के जरिए एक भी शेयर नहीं बेच रहे हैं।
अगर आप भी इसमें पैसा लगाने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको बता रहे हैं कि आप इसमें कितना निवेश कर सकते हैं।
मिनिमम और मैक्सिमम कितना पैसा लगा सकते हैं?
यूनिकॉमर्स ई-सॉल्यूशंस लिमिटेड ने इस इश्यू का प्राइस बैंड ₹102-₹108 तय किया है। रिटेल निवेशक मिनिमम एक लॉट यानी 138 शेयर्स के लिए बिडिंग कर सकते हैं। यदि आप IPO के अपर प्राइज बैंड ₹108 के हिसाब से 1 लॉट के लिए अप्लाय करते हैं, तो इसके लिए ₹14,904 इन्वेस्ट करने होंगे।
वहीं, मैक्सिमम 13 लॉट यानी 1794 शेयर्स के लिए रिटेल निवेशक अप्लाय कर सकते हैं। इसके लिए निवेशकों को अपर प्राइज बैंड के हिसाब से ₹193,752 इन्वेस्ट करने होंगे।
ग्रे मार्केट में यूनिकॉमर्स ई-सॉल्यूशंस का प्रीमियम 27.78%
लिस्टिंग से पहले कंपनी का शेयर ग्रे मार्केट में 27.78% यानी ₹30 प्रति शेयर के प्रीमियम पर पहुंच गया है। ऐसे में अपर प्राइस बैंड ₹108 के हिसाब से इसकी लिस्टिंग ₹₹138 पर हो सकती है। हालांकि, इससे केवल अनुमान लगाया जा सकता है, शेयर की लिस्टिंग की प्राइस ग्रे मार्केट की प्राइस से अलग होती है।
इश्यू का 10% हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स के लिए रिजर्व
कंपनी ने इश्यू का 75% हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिए रिजर्व रखा है। इसके अलावा 10% हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स और बाकी का 15% हिस्सा नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) के लिए रिजर्व है।
यूनिकॉमर्स ई-सॉल्यूशंस की स्थापना फरवरी 2012 में हुई थी
यूनिकॉमर्स ई-सॉल्यूशंस लिमिटेड की स्थापना फरवरी 2012 में हुई थी, जो सॉफ्टवेयर-एज-ए-सर्विस (SaaS) प्लेटफार्म, ब्रांड्स, सेलर्स और लॉजिस्टिक्स प्रोवाइडर्स के लिए ई-कॉमर्स ऑपरेशंस मैनेज करती है। यूनिकॉमर्स ई-सॉल्यूशंस लिमिटेड में ई कॉमर्स प्लेटफार्म स्नैपडील और सॉफ्टबैंक का निवेश है।
IPO क्या होता है?
जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर्स को आम लोगों के लिए जारी करती है तो इसे इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी IPO कहते हैं। कंपनी को कारोबार बढ़ाने के लिए पैसे की जरूरत होती है। ऐसे में कंपनी बाजार से कर्ज लेने के बजाय कुछ शेयर पब्लिक को बेचकर या नए शेयर इश्यू करके पैसा जुटाती है। इसी के लिए कंपनी IPO लाती है।