ब्रिटेन में नगा मानव खोपड़ी की नीलामी संबंधी विवाद
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
हाल ही में नगालैंड एवं भारत के अधिकारियों की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद 19वीं शताब्दी की “सींग वाली नगा खोपड़ी” की ब्रिटेन में नीलामी को रद्द किया गया, जिससे मानव अवशेषों के संवेदनशील मुद्दे तथा औपनिवेशिक विरासतों के संदर्भ में विमर्श को बढ़ावा मिला है।
- नीलामी में 19वीं सदी की नगा खोपड़ी की कीमत 3,500-4,500 पाउंड आंकी गई साथ ही पापुआ न्यू गिनी, बोर्नियो, सोलोमन द्वीप एवं बेनिन, कांगो और नाइजीरिया जैसे अफ्रीकी देशों से संबंधित अवशेष भी नीलामी में मौजूद थे।
- नगालैंड के मुख्यमंत्री और नागरिक समाज ने नीलामी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
- इन्होने इसे औपनिवेशिक हिंसा और नस्लवाद की निरंतरता के रूप में संदर्भित किया तथा नगा लोगों को “असभ्य” एवं “शिकारी ” के रूप में संदर्भित करने जैसी हानिकारक रूढ़ियों को नकारा, जो ब्रिटिश उपनिवेशवाद में निहित एक चरित्र-चित्रण है।
- स्थानीय मानव अवशेषों की बिक्री (विशेष रूप से औपनिवेशिक शासन के दौरान चुराए गए अवशेषों की) की नैतिक उल्लंघन के रूप में कड़ी निंदा की गई।
- कहा जाता है कि मानव अवशेषों की नीलामी स्थानीय लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र घोषणा (UNDRIP) के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है जिसमें कहा गया है: ” स्थानीय लोगों को अपनी संस्कृतियों, परंपराओं, इतिहास और आकांक्षाओं की गरिमा एवं विविधता का अधिकार है, जो शिक्षा एवं सार्वजनिक सूचना में उचित रूप से परिलक्षित होना चाहिये।”
- नगा समुदाय ऑक्सफोर्ड स्थित पिट रिवर्स म्यूज़ियम से अपने पूर्वजों के अवशेषों को वापस लाने के प्रयासों में शामिल रहा है, जहाँ ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान एकत्र की गई लगभग 6,500 नगा कलाकृतियाँ रखी हुई हैं।
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