ऑनलाइन स्पैम और फर्जीवाड़े के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने के लिए टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पिछले कुछ समय में कई सारे कदम उठाए हैं। कमर्शियल मैसेज के नाम पर होने वाली ठगी पर लगाम लगाने के लिए कंपनी कई सारे उपाय कर रही है। इस बीच TRAI की तरफ से बताया गया कि कमर्शियल मैसेज को ट्रेस करने के लिए नया फ्रेमवर्क तैयार कर लिया गया है जो स्पैम फ्री मैसेजिंग सिस्टम को तैयार करने में बड़ी मदद करेगा।
TRAI की मानें तो नए मैसेजिंग ट्रेसेबिबिलिटी फ्रेमवर्क से सभी प्रमुख संस्थान जैसे सरकारी एजेंसी, व्यावसायिक संस्थान और बैंक के साथ-साथ टेलीमार्केटिंग कंपनियों को ब्लॉकचेन आधारित डिस्ट्रीव्यूटिड लेजर टेक्नोलॉजी के जरिए अपने SMS ट्रांसमिशन रूट का ऐलान करना पड़ेगा। इसके साथ ही कंपनियों को ट्रेसेबिलिटी के लिए पंजीकरण कराना होगा।
डाटा प्राइवेसी से नहीं होगा समझौता
TRAI ने बताया कि चेन डिक्लेरेशन और बाइडिंग प्रोसेस होने से हर एक मैसेज को एंड-टू-एंड ट्रेस करना पाना काफी आसान हो जाएगा। ट्राई ने कहा कि इसकी मदद से डेटा प्राइवेसी से भी किसी तरह का समझौता नहीं करना पड़ेगा और मैसेज डिलीवरी में देरी किए बिना मैसेज के ओरिजन पॉइंट को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा।
आपको बता दें कि ट्राई की तरफ से मैसेज ट्रेसेबिलिटी को लेकर सबसे पहला निर्देश 20 अगस्त को जारी किया गया था। कंपनी ने टेलीकॉम एजेंसियों की रिक्वेस्ट पर इसे लागू करने के लिए 31 अक्टूबर तक का समय दिया था। बाद में इसे 10 दिसंबर के लिए बढ़ा दिया गया था। अब देश में 11 दिसंबर से मैसेज ट्रेसेबिलिटी लागू हो चुका है लेकिन ट्राई इसे लगातार बेहतर और मजूबत बनाने की कोशिश में लगी हुई है। 11 दिसंबर से अनरजिस्टर्ड पाथ से आने वाले मैसेज को अस्वीकार कर दिया जा रहा है।