Khushkhabri With IVF In Hindi: शायद ही कोई ऐसा कपल हो, जिन्हें पेरेंट्स न बनना हो। लेकिन, खराब जीवनशैली और बिगड़ती सेहत ने आज कई युवाओं की फर्टिलिटी को प्रभावित कर दिया है। ऐसे में कई कपल्स न चाहते हुए भी पेरेंट्स बनने के अपने सपने को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि, ऐसे लोगों के लिए आईवीएफ किसी वरदान की तरह है। आईवीएफ की मदद से अब तक देश-दुनिया भर में करोड़ों कपल्स पेरेंट्स बनने के अपने सपने को पूरा कर चुके हैं। लेकिन, आपको यह पता होना चाहिए कि यह प्रक्रिया आसान नहीं है। इसमें कई तरह की चुनौतियां होती हैं। यही नहीं, कई बार महिला या पुरुष की फिजिकल हेल्थ भी आईवीएफ के आड़े आ सकती है। जैसे, अगर किसी महिला को ब्लड प्रेशर है, तो उन्हें आईवीएफ प्रक्रिया के जरिए कंसीव करने में कई तरह के चेलेंजेस का सामना करना पड़ सकता है। इस लेख में हम आईवीएफ और ब्लड प्रेशर से जुड़ी तमाम जरूरी बातें जानेंगे।
ज्यादातर लोगों के मन में आईवीएफ तकनीक से जुड़े कई सवाल होते हैं। इन्हीं सवालों को ध्यान में रखते हुए ऑनलीमायहेल्थ ने Khushkhabri with IVF नाम से एक स्पेशल सीरीज चलाई है, जिसमें आपको आईवीएफ से जुड़े तमाम सवालों के जवाब मिल जाएंगे। आज इस सीरीज में हम Max Healthcare Ltd. Delhi & Noida में Director, IVF and Reproductive medicine डॉ. श्वेता गुप्ता की मदद से आपको बता रहे हैं कि अगर किसी को ब्लड प्रेशर है, तो क्या वे आईवीएफ तकनीक चुन सकते हैं? ब्लड प्रेशर की वजह से किस तरह की जटिलताएं बढ़ सकती है?
ब्लड प्रेशर फर्टिलिटी को कैसे प्रभावित करता है?
इससे पहले हम यह जानें कि आखिर ब्लड प्रेशर फर्टिलिटी को कैसे प्रभावित करता है, यह जान लेना ज्यादा जरूरी है कि आखिर ब्लड प्रेशर है क्या? यह एक तरह की मेडिकल कंडीशन है, जिसने लाखों-लाख लोगों को अब तक प्रभावित किया है। ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन हमारे शरीर को कई तरह से असर डालता है। ब्लड प्रेशर के मरीजों को हार्ट डिजीज, स्ट्रोक और किडनी फेलियर जैसे जोखिम काफी ज्यादा होते हैं। यहां तक कि ब्लड प्रेशर के मरीजों की फर्टिलिटी भी काफी प्रभावित होती है। दरअसल, हाइपरटेंशन की वजह से पुरुषों में स्पर्म काउंट कम हो जाता है, स्पर्म क्वालिटी पर निगेटिव असर पड़ता है, स्पर्म मोर्टिलिटी इफेक्टेड होती है और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं। वहीं, महिलाओं की बात करें, तो ब्लड प्रेशर की वजह से मिसकैरेज का रिस्क बढ़ जाता है।
इसे भी पढ़ें: IVF and Diabetes: कितना मुश्किल है डायबिटीज के मरीजों के लिए IVF का सफर? जानें सभी जरूरी बातें
ब्लड प्रेशर और आईवीएफ ट्रीटमेंट
ब्लड प्रेशर को लाइफस्टाइल और खानपान की आदतों में सुधार करके इसे मैनेज किया जा सकता है। इसके अलावा, ब्लड प्रेशर की नियमित दवा लेने से आईवीएफ की सफलता दर को बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, ब्लड प्रेशर की शिकायत है, वे कुछ अन्य विकल्पों की मदद से भी इनफर्टिलिटी की समस्या को दूर कर सकते हैं। इसमें आईवीएफ के साथ-साथ एसिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी भी शामिल है। विशेषज्ञों की मानें, तो ब्लड प्रेशर की वजह से हुई इंफर्टिलिटी से डील करने के लिए आप जो भी तकनीक अपनाते हैं, उसके अपनी सीमाएं और नुकसान होते हैं। इसमें मल्टीपल प्रेग्नेंसी और ओवरियन हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम शामिल है। यही नहीं, हाइपरटेंशन अपने आप में एक जटिल समस्या है, जिसकी वजह से प्रेग्नेंसी के सफर में कई परेशानियां हो सकती हैं। कुल मिलाकर, जिन लोगों को हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर की वजह से इंफर्टिलिटी का शिकार होना पड़ रहा है और वे पेरेंट्स बनने के लिए आईवीएफ के विकल्प को चुनना चाहते हैं, तो ऐसे में उन्हें चाहिए कि वे आईवीएफ एक्सपर्ट से मिले और सही ट्रीटमेंट लें। ध्यान रखें, जो लोग ब्लड प्रेशर के मरीज होते हैं, उन्हें इस विकल्प को जल्द से जल्द चुन लेना चाहिए। जितनी देरी होगी, ट्रीटमेंट की सफलता दर उतने कम होते रहेंगे।
इसे भी पढ़ें: Khuskhabri With IVF: अधिक उम्र की वजह से कंसीव नहीं कर पा रही थीं मिंटी सक्सेना, IVF की मदद से मिली गुड न्यूज
आईवीएफ ट्रीटमेंट के लिए ब्लड प्रेशर को कैसे मैनेज करें
आईवीएफ ट्रीटमेंट का विकल्प चुन रहे हैं, तो ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप कुछ जरूरी चीजों को फॉलो करें, जैसे-
बीपी चेक करवाएं
ब्लड प्रेशर के मरीजों को कंसीव करना हो या आईवीएफ ट्रीटमेंट के विकल्प को चुनना है। उन्हें चाहिए कि वे नियमित रूप से अपना बीपी चेक करवाते रहें। इससे बीपी रेंज पर नजर रखना आसन होगा और आईवीएफ ट्रीटमेंट के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकेंगे।
मेडिसिन समय पर लें
अगर आप आईवीएफ ट्रीटमेंट करवा रहे हैं, तो बहुत जरूरी है कि आप समय पर मेडिसिन लें। इससे आईवीएफ प्रक्रिया शुरू करने में मदद मिलती है। साथ ही, आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान जटिलताएं भी कम आती हैं।
इसे भी पढ़ें: Gestational Diabetes: IVF से प्रेग्नेंसी में 50% से ज्यादा महिलाएं हो जाती हैं जेस्टेशनल डायबिटीज का शिकार
लाइफस्टाइल में करें बदलाव
ब्लड प्रेशर के मरीजों को अगर आईवीएफ प्रक्रिया के जरिए कंसीव करना है, तो उन्हें अपने लाइफस्टाइल में बदलाव जरूर करने चाहिए। इसमें खानपान, फिजिकल एक्टिविटी जैसी कई गतिविधियां शामिल होती हैं। इसके अलावा, ब्लड प्रेशर के मरीजों को डाइट में सोडियम इनटेक कम करना चाहिए। सोडियम की अधिक मात्रा से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, जो प्रेग्नेंसी में जटिलताएं पैदा कर सकता है।
स्ट्रेस फ्री रहें
अगर आपको हाइपरटेंशन है और आईवीएफ प्रक्रिया के जरिए पेरेंट्स बनना चाहते हैं, तो कोशिश करें कि स्ट्रेस फ्री रहें। ध्यान रखें कि स्ट्रसे की वजह से हार्मोनल स्तर में बदलाव होते हैं और आईवीएफ प्रक्रिया में हार्मोनल इंबैलेंस को सही नहीं माना जाता है। इसकी वजह से मिसकैरेज या प्रेग्नेंसी में कॉम्पलीकेशंस हो सकती हैं। अगर स्ट्रेस डील नहीं कर पा रहे हैं, तो बेहतर होगा आप प्रोफेशनल की मदद लें।
अगर आपको ब्लड प्रेशर है और पेरेंट्स बनना चाहते हैं पर नेचुरल तरीके से कंसीव नहीं कर पा रहे हैं, तो ऐसे में आपको बिना देरी किए आईवीएफ एक्सपर्ट से संपर्क करना चाहिए। हालांकि, हमने अपने इस Khushkhabri With IVF की स्पेशल सीरीज में आईवीएफ और ब्लड प्रेशर से जुड़े सभी सवालों के जवाब देने की कोशिश की है। इसके बावजूद, अगर आपके मन में ब्लड प्रेशर और आईवीएफ तकनीक से जुड़ा कोई सवाल है, तो आप हमारी वेबसाइट में विजिट कर सकते हैं।
All Image Credit: Freepik