नई दिल्ली17 मिनट पहले
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मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 8 की वैल्यू बीते हफ्ते कंबाइंड रूप से 1,28,913.5 करोड़ रुपए (1.28 लाख करोड़ रुपए) कम हुई है। इस दौरान टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) की वैल्यूएशन में बड़ी गिरावट देखने को मिली।
हफ्ते भर में कारोबार के दौरान IT कंपनी की वैल्यूएशन 37,972 करोड़ रुपए कम हुई है। अब कंपनी का मार्केट कैप 15.50 लाख करोड़ रुपए रह गया है। इससे पहले कंपनी का मार्केट कैप 15.86 लाख करोड़ रुपए था।
HDFC बैंक की वैल्यू 32,759 करोड़ बढ़ी
TCS के अलावा, इंफोसिस, ITC, SBI, रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारती एयरटेल, ICICI बैंक और हिंदुस्तान यूनिलीवर में भी पिछले हफ्ते मार्केट में गिरावट देखने को मिली। वहीं, HDFC बैंक और लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी LIC का मार्केट कैप इस दौरान बढ़ा है।
HDFC का मार्केट कैप 32,759 करोड़ रुपए बढ़कर 12.64 लाख करोड़ रुपए हो गया है। वहीं, LIC का वैल्यूएशन 1,075 करोड़ बढ़कर 7.47 लाख करोड़ रुपए हो गया है। पिछले हफ्ते के कारोबार में सेंसेक्स में टोटल 351 अंक की गिरावट रही थी।
शुक्रवार को सेंसेक्स में 885 अंक की गिरावट रही
हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन (शुक्रवार, 2 अगस्त) को बाजार में गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 885 अंक की गिरावट के साथ 80,981 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी में भी 293 अंक की गिरावट रही, ये 24,717 के स्तर पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में 25 में गिरावट और केवल 5 में तेजी रही। निफ्टी के 50 शेयरों में से 42 में गिरावट और 8 में तेजी रही।
रियल्टी सेक्टर में सबसे ज्यादा 3.53% की गिरावट रही
NSE के सेक्टोरल इंडेक्स की बात करें तो रियल्टी सेक्टर में सबसे ज्यादा 3.53% की गिरावट रही। वहीं, ऑटो में 2.92%, मेटल में 2.70%, IT में 2.41% और PSU बैंक में 1.72% की गिरावट रही। जबकि, फार्मा में 0.52% और हेल्थकेयर में 0.36% की तेजी रही।
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।
मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।
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मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 6 की वैल्यू बीते हफ्ते कंबाइंड रूप से 1,85,186.51 करोड़ रुपए (1.85 लाख करोड़ रुपए) बढ़ी है। इस दौरान लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) टॉप गेनर रही। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…