एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि नई पॉलिसी के तहत, एक तिमाही में 60 प्रतिशत से कम ऑफिस आने वालों को उस तिमाही के लिए कोई वेरिएबल पे नहीं मिलेगी। TCS के ऑफिस में 60-75 प्रतिशत अटेंडेंस वाले वर्कर्स को वेरिएबल पे का 50 प्रतिशत, और 75-85 प्रतिशत अटेंडेंस वालों को 75 प्रतिशत मिलेगा। ऑफिस में 85 प्रतिशत से अधिक अटेंडेंस वाले वर्कर्स को ही उस तिमाही के लिए पूरी वेरिएबल पे दी जाएगी। इस पॉलिसी में चेतावनी दी गई है ऑफिस से वर्क के 85 प्रतिशत के नियम का लगातार उल्लंघन करने वाले वर्कर्स के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के नतीजे की घोषणा के बाद वर्कर्स को भेजी एक ईमेल में TCS के CEO, K Krithivasan ने ऑफिस लौटने को महत्वपूर्ण बताया था। हाल ही में TCS पर अमेरिका में कुछ वर्कर्स ने एंप्लॉयमेंट में भेदभाव का आरोप लगाया था। इन वर्कर्स का कहना था कि कंपनी ने उन्हें कम अवधि का नोटिस देकर टर्मिनेट कर दिया और इसके बाद खाली हुई कई पोजिशंस पर भारत से H-1B वीजा पर आए वर्कर्स को रखा था। Wall Street Journal की एक रिपोर्ट के अनुसार, 20 से अधिक वर्कर्स ने इक्वल एंप्लॉयमेंट ऑपर्च्युनिटी कमीशन (EEOC) के पास शिकायत दर्ज कराई है। अमेरिका की यह कानून प्रवर्तन एजेंसी वर्कप्लेस पर भेदभाव को गैर कानूनी करार देती है।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनी के इन अमेरिकी वर्कर्स का दावा है कि उन्हें आयु और जाति जैसे गुणों के आधार पर निशाना बनाकर कानूनों का उल्लंघन किया गया है। इनका कहना है कि कंपनी की ओर से की गई कार्रवाई से अमेरिका में H-1B वीजा पर आए भारत के वर्कर्स को प्राथमिकता दी गई थी। इस बारे में कंपनी के प्रवक्ता ने कहा था, “TCS के गैर कानूनी तरीके से भेदभाव करने के आरोप गलत और भ्रामक हैं। कंपनी का अमेरिका में समान अवसर देने वाले एंप्लॉयर के तौर पर मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है।”
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