Wall Street Journal की एक रिपोर्ट के अनुसार, 20 से अधिक वर्कर्स ने इक्वल एंप्लॉयमेंट ऑपर्च्युनिटी कमीशन (EEOC) के पास शिकायत दर्ज कराई है। अमेरिका की यह कानून प्रवर्तन एजेंसी वर्कप्लेस पर भेदभाव को गैर कानूनी करार देती है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिकी वर्कर्स का दावा है कि TCS ने उनके साथ आयु और जाति जैसे गुणों के आधार पर निशाना बनाकर कानूनों का उल्लंघन किया है। इनका कहना है कि कंपनी की ओर से की गई कार्रवाई से अमेरिका में H-1B वीजा पर आए भारत के वर्कर्स को प्राथमिकता दी गई थी।
इस बारे में कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, “TCS के गैर कानूनी तरीके से भेदभाव करने के आरोप गलत और भ्रामक हैं। कंपनी का अमेरिका में समान अवसर देने वाले एंप्लॉयर के तौर पर मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है।” पिछले वर्ष भी TCS में जॉब के बदले रिश्वत लेने के स्कैम का खुलासा हुआ था। इस मामले में दो व्हिसलब्लओर की शिकायतें मिली थी। कंपनी ने इसे लेकर छह वर्कर्स को बर्खास्त और छह स्टाफिंग फर्मों को ब्लैकलिस्ट किया था। एक व्हिसलब्लोअर ने कंपनी के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि TCS के रिसोर्स मैनेजमेंट ग्रुप (RMG) के हेड, E S Chakravarthy कुछ वर्षों से स्टाफिंग फर्मों से कमीशन ले रहे हैं। इस शिकायत के बाद कंपनी ने आरोपों की जांच के लिए TCS के चीफ इनफॉर्मेशन सिक्योरिटी ऑफिसर, Ajit Menon सहित तीन सीनियर एग्जिक्यूटिव्स की टीम बनाई थी।
पिछले महीने TCS ने बताया था कि उसकी हायरिंग को घटाने की योजना नहीं है। हालांकि, कंपनी ने कहा था कि वह डिमांड के अनुसार हायरिंग करेगी। TCS के चीफ एग्जिक्यूटिव, K Krithivasan का कहना था, “इकोनॉमी में सुधार हो रहा है और हमें अधिक कार्य के लिए अधिक लोगों की जरूरत होगी। हमारी हायरिंग की योजना को घटाने की योजना नहीं है। हमें हायरिंग की रफ्तार में बदलाव करना पड़ सकता है।” कंपनी को अपने सबसे बड़े मार्केट में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
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