सूर्य तिलक प्रोजेक्ट
स्रोत: पी.आई.बी.
सूर्य तिलक प्रोजेक्ट एक उल्लेखनीय प्रयास है, जो हाल ही में अयोध्या में प्रारंभ हुआ, जिसने श्री रामलला के मस्तक पर सूर्य की रोशनी पहुँचाई।
सूर्य तिलक प्रोजेक्ट क्या है?
- परिचय:
- सूर्य तिलक प्रोजेक्ट प्रौद्योगिकी और परंपरा के अनूठे मिश्रण का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे राम नवमी के त्योहार के दौरान सूर्य की सटीक किरण के साथ भगवान राम की मूर्ति के मस्तक को प्रकाशित करने के लिये सावधानीपूर्वक निर्मित किया गया है।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत भारतीय ताराभौतिकीय संस्थान (IIA) अयोध्या में सूर्य तिलक प्रोजेक्ट में महत्त्वपूर्ण था।
- गणना एवं स्थिति निर्धारण:
- IIA टीम ने सूर्य तिलक प्रोजेक्ट के लिये सूर्य की स्थिति, डिज़ाइन एवं ऑप्टिकल प्रणाली के अनुकूलन की गणना की।
- ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार सौर प्रकृति के कारण रामनवमी की तारीख प्रत्येक वर्ष परिवर्तित होती रहती है, जबकि हिंदू कैलेंडर चंद्र-आधारित होता है।
- ग्रेगोरियन कैलेंडर सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की परिक्रमा पर आधारित है, जो इसे एक वर्ष में लगभग 365 दिनों वाला एक सौर कैलेंडर बनाता है, जबकि हिंदू कैलेंडर पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की परिक्रमा पर आधारित है, जो इसे एक वर्ष में लगभग 354 दिनों वाला चंद्र कैलेंडर बनाता है।
- डिज़ाइन एवं सुधार:
- सूर्य तिलक प्रोजेक्ट का मूल इसकी ऑप्टो-मैकेनिकल प्रणाली है, जो सटीक सूर्य के प्रकाश के लिये ऑप्टिकल के साथ-साथ मैकेनिकल कंपोनेंट्स को सहजता से एकीकृत करती है।
- यह ऑप्टो-मैकेनिकल प्रणाली, एक पेरिस्कोप (एक उपकरण जिसमें दर्पण अथवा प्रिज़्म के एक शृंखला से जुड़ी एक ट्यूब के समान होती है, जिसके द्वारा एक प्रेक्षक उन चीज़ों को देख सकता है जो दृष्टि से बाहर हैं) सूर्य की स्थिति के लिये वार्षिक समायोजन करने हेतु 19-गियर प्रणाली का उपयोग करता है।
- प्रत्येक वर्ष पिकअप दर्पण (pickup mirror) के कोण को समायोजित करने के लिये एक गियर टूथ को मैन्युअल रूप से घुमाया जाता है।
- संख्या 19 मेटोनिक चक्र से समानता रखती है, जो 19 वर्षों तक चलती है और साथ ही सौर वर्ष के समान दिनों में चंद्रमा के चरणों की पुनरावृत्ति के लिये प्रणाली को रीसेट भी करती है।
- सूर्य तिलक का निष्पादन 4 दर्पणों तथा 2 लेंसों के साथ किया गया, जिसमें IIA के तकनीकी विशेषज्ञों ने इसके परीक्षण, संयोजन, एकीकरण एवं सत्यापन में भाग लिया।
- इस स्थल पर ऑप्टोमैकेनिकल प्रणाली का कार्यान्वयन केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI): वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा किया गया था।
- सूर्य तिलक प्रोजेक्ट का मूल इसकी ऑप्टो-मैकेनिकल प्रणाली है, जो सटीक सूर्य के प्रकाश के लिये ऑप्टिकल के साथ-साथ मैकेनिकल कंपोनेंट्स को सहजता से एकीकृत करती है।
- भविष्य में कार्यान्वयन
- 4 दर्पणों तथा 4 लेंसों के साथ सूर्य तिलक को अंतिम प्रारूप, मंदिर के पूर्ण निर्माण के बाद दिया जाएगा, जिसमें रामनवमी की कैलेंडर तिथि में बदलाव को समायोजित करने हेतु डिज़ाइन किया गया तंत्र भी शामिल है।
- रखरखाव एवं चुनौतियाँ:
- प्रतिवर्ष राम नवमी से पहले मैन्युअल रूप से पहले दर्पण को शिफ्ट किया जाना आवश्यक है, और यह तंत्र बादलों अथवा वर्षा के कारण सूर्य के प्रकाश की अनुपस्थिति में कार्य नहीं करेगा।
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (Indian Institute of Astrophysics- IIA):
- यह देश का एक प्रमुख संस्थान है, जो खगोलभौतिकी एवं संबंधित क्षेत्रों में शोधकार्य एवं अनुसंधान को समर्पित है।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department Of Science & Technology- DST) के तहत संचालित यह संस्थान आज देश में खगोल एवं भौतिकी में शोध एवं शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र है।
- इस संस्थान के प्रमुख प्रेक्षण केंद्र कोडैकनाल (तमिलनाडु), कावलूर (कर्नाटक), गौरीबिदनूर (कर्नाटक) एवं हेनले (लद्दाख) में स्थापित हैं।
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