आमतौर पर बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं में सेक्स के प्रति रूचि कम होने लगती है, जिसका प्रभाव उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नज़र आने लगता है। जानते हैं रिलेशनशिप में सेक्सुअल इंटिमेसी की कमी के दुष्परिणाम
बढ़ती उम्र, लॉन्ग वर्किंग आवर्स और मूड स्विंग यौन संबधों में बाधा बनने लगते हैं। इससे लाइफस्टाइल में बदलाव आते हैं और पार्टनर्स में सेक्सुअल इंटिमेसी धीरे धीरे कम होने लगती है। इसका प्रभाव रिलेशनशिप के अलावा वेजाइना पर भी नज़र आने लगता है। आमतौर पर बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं में सेक्स के प्रति रूचि कम होने लगती है, जिसका प्रभाव उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नज़र आने लगता है। जानते हैं रिलेशनशिप में सेक्सुअल इंटिमेसी की कमी के दुष्परिणाम।
सेक्सुअल इंटिमेसी क्यों है ज़रूरी (Importance of sexual intimacy)
इस बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सीमा शर्मा का कहना है कि सेक्स के प्रति रूचि कम होने से योनि के टिशूज़ थिन होने लगते हैं। इसे वेजाइनल एंट्रॉफी कहा जाता है। इसके अलावा इसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी नज़र आने लगता है। सेक्सुअल लाइफ में गैप आने से पेनफुल सेक्स और आर्गेज्म की प्राप्ति में भी समय लगता है। यौन संबधों की कमी के चलते शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव दिखने जगता है।
जानते है रिश्ते में सेक्सुअल इंटिमेसी की कमी के नुकसान
1. पेनफुल सेक्स की समस्या
उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं को मेनोपॉज़ का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अधिकतर महिलाओं की सेक्स के प्रति रूचि कम होने लगती है। शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी से वेजाइना के टिशूज़ में रूखापन बढ़ने लगता है। योनि में बढ़ने वाली ड्राईनेस से महिलाओं को अक्सर पेनफुल सेक्स की समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके चलते महिलाएं सेक्सुअल सेशन को एजॉय नहीं कर पाती हैं।
2. वेजाइनल टिशूज में बढ़ने वाली थिननेस
एस्ट्रोजन की कमी के चलते योनि में रूखेपन के अलावा वेजाइनल वॉल में पतलापन महसूस होने लगता है। शरीर में बढ़ने वाला हार्मोन असंतुलन इस समस्या का कारण बनने लगता है। इस समस्या को वेजाइनल एंट्रॉफी कहा जाता है। इसमें महिलाओं को सेक्स के दौरान डिस्कंफर्ट का सामना करना पड़ता है। सेक्स के दौरान महिलाओं को इंचिंग और बर्निंग का सामना करना पड़ता है।
3. आर्गेज्म की प्राप्ति देर से होना
ऐसी महिलाएं, जिनका रूझान सेक्सुअल लाइफ की ओर कम होने लगता है, उन्हें आर्गेज्म की प्राप्ति देर से होती है। सेक्सुअल लाइफ में गैप आने से रोमांच में कमी आती है और सेक्सुअल क्लाइमेक्स तक पहुंचने के लिए बहुत स्टीम्यूलेशन की मदद लेनी पड़ती है। ऐसे में सेक्स के दौरान तनाव की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। सेक्सुअल लाइफ को हेल्दी बनाने के लिए यौन संबधों का नियमित होना आवश्यक है।
4. लिबिडो का कम होना
सेक्सुअल इंटिमेसी की कमी से व्यक्ति सेक्स में प्रति अपनी दिलचस्पी खोने लगता है। बच्चे के जन्म के बाद अधिकतर कपल्स एक दूसरे को पूरा वक्त नहीं दे पाते हैं। ऐसे में सेक्सुअल लाइफ को एजॉय न कर पाना सेक्स डिज़ायर में कमी का कारण बनने लगता है। इससे रिलेशनशिप पर भी प्रभाव नज़र आने लगता है।
5. सेक्सुअल कम्युनिकेशन में हिचकिचाहट
यौन इच्छाओं और अनुभवों को साझा करने के लिए सेक्सुअल कम्युनिकेशन की मदद ली जाती है। ऐसे लोग जो सेक्सुअल लाइफ को जीवन में प्राथमिकता नहीं देते है, उनकी दिलचस्पी इस ओर धीरे धीरे कम होने लगती है। वे भावनात्मक रूप से कमज़ोर होने लगते है और खुलकर अपनी इच्छाओं को प्रकट नहीं कर पाते हैं। इससे रिश्ते में मनमुटाव बढ़ने लगता है।
6. तनाव का बढ़ना
जीवन में यौन संबधों की कमी के चलते तनाव, चिंता और मूड स्विंग की समस्या का सामना करना पड़ता है। इससे रिश्ते में सेक्सुअल गैप के अलावा कम्युनिकेशन गैप भी बढ़ जाता है। इससे ओवर थिंकिंग और डिमेंशिया का जोखिम बढ़ जाता है।