यह भी मान्यता है कि शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला की पूजा करने और बासी भोजन का भोग लगाने से चेचक, खसरा आदि रोगों से भी मुक्ति मिलती है।
By Ekta Sharma
Publish Date: Sat, 23 Mar 2024 01:17 PM (IST)
Updated Date: Sat, 23 Mar 2024 01:17 PM (IST)
HighLights
- शीतला अष्टमी के दिन देवी शीतला की पूजा करने की परंपरा है।
- इस तिथि पर देवी को बासी भोजन का भोग भी लगाया जाता है।
- शीतला माता को बासी भोजन बहुत प्रिय है।
धर्म डेस्क, इंदौर। Sheetala Ashtami 2024: हिंदू पंचांग के मुताबिक, होली के 8 दिन बाद शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे बसोड़ा या बासोड़ा के नाम से भी जाना जाता है।
शीतला अष्टमी के दिन देवी शीतला की पूजा करने की परंपरा है। साथ ही इस तिथि पर देवी को बासी भोजन का भोग भी लगाया जाता है। आइए, जानते हैं कि ऐसा करने की पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण क्या है।
शीतला अष्टमी धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शीतला माता को बासी भोजन बहुत प्रिय है। इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला की पूजा करने और बासी भोजन का भोग लगाने से चेचक, खसरा आदि रोगों से भी मुक्ति मिलती है।
शीतला अष्टमी वैज्ञानिक महत्व
शीतला अष्टमी का वैज्ञानिक महत्व भी है। यह पर्व उस समय मनाया जाता है, जब शीत ऋतु की विदाई और ग्रीष्म ऋतु के आगमन का समय होता है। ऐसे में यह दो ऋतुओं का संधिकाल है। इस दौरान आपको अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अन्यथा आपकी सेहत पर इसका असर देखने को मिलेगा। माना जाता है कि इस मौसम में ठंडा खाना खाने से पाचन तंत्र ठीक रहता है। ऐसे में शीतला अष्टमी पर ठंडा खाना खाया जाता है।
इस तरह मनाया जाता है यह पर्व
बसोड़ा पर्व पर घरों में खाना पकाने के लिए आग का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसलिए बासोड़ा से एक दिन पहले मीठे चावल, रबड़ी, पुआ, हलवा, रोटी आदि पकवान बनाए जाते हैं। अगली सुबह वही बासी भोजन देवी शीतला को अर्पित किया जाता है। इसके बाद इस भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
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