शंख प्रक्षालन योग पांच योग क्रियाओं से मिलकर बना है। इसे करने के विषैले पदार्थों की निकासी के साथ कई फायदे भी मिलते हैं। कैसे शंख प्रक्षालन है स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद, जानें इसे करने की विधि (shankha prakshalana in yoga)।
शरीर की त्वचा का ख्याल रखना जितना ज़रूरी है। ठीक उसी प्रकार से इंटरनल क्लीनिंग पर ध्यान केंद्रित करना भी आवश्यक है। आंतों के स्वास्थ्य को उचित बनाए रखने के लिए शंख प्रक्षालन एक बेहतरीन योग प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के तहत शरीर को डिटॉक्स करने के लिए पानी और योग मुद्राओं की मदद ली जाती है। इसे रोज़ाना करने से एसिडिटी, अपच, कब्ज और पेट दर्द संबधी समस्याओं से राहत मिलती है। रोज़ाना सुबह उठकर किया जाने वाला ये योग पांच योग क्रियाओं से मिलकर बना है। इसे करने के शरीर के विषैले पदार्थों की निकासी के साथ कई अन्य फायदे भी मिलते हैं। कैसे शंख प्रक्षालन है स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद, जानें इसे करने की विधि (shankha prakshalana in yoga)।
शंख प्रक्षालन योग प्रक्रिया किसे कहते हैं
इस बारे में भारतीय योग गुरु हंसाजी योगेंद्र का कहना है कि शंख प्रक्षालन योगासनों की ऐसी श्रृंखला है, जिसके माध्यम से आंत में जमा टॉक्सिक पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। सुबह जल्दी उठकर इसका अभ्यास करने से गट हेल्थ मज़बूत होती है। इसे करने से पहले 1 लीटर हल्के गुनगुने पानी में दो छोटे चम्मच नॉन आयोडाइज्ड सॉल्ट के डालें और तैयार कर लें। इस पानी का आप धीरे धीरे पीएं।
ये पानी आंतों में पहुंचकर मौजूद विषैले पदार्थों को दूर करने में मदद करता है। इस प्रक्रिया को रोज़ दोहराने से बार बार यूरिन पास करने की समस्या से जूझना सामान्य हो जाता है। किसी योगा एक्सपर्ट की देखरेख में इस योगासन को करना फायदेमंद साबित होता है। इसे रोज़ाना दोहराने से शरीर में एनर्जी और स्टेमिना बढ़ने लगता है।
जानें इस योग प्रक्रिया को करने की विधि
1. ताड़ासन (Mountain pose)
इस योगासन को करने के लिए मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अब दोनों बाजूओं को सीधा करें और उपर की ओर लेकर जाएं। दोनों हथेलियों को एक दूसरे से मिलाएं और एड़ियों को उपर उठाकर पंजों पर खड़े हो जाएं। इस योगासन को करने के दौरान गहरी सांस लें और बाजूओं को उपर की ओर खींचें।
2. तिर्यक ताड़ासन (Swaying palm tree pose)
अब मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और दोनों पैरों की उंगलियों को एक दूसरे से जोड़ लें। अब दोनों बाजूओं को उपर उठाएं और खीचें। एड़ियों को जमीन पर ही लगाकर रखें। दोनों हाथों की उंगलियों को एक दूसरे में जकड़ लें। अब कमर को बाई ओर झुकाएं और दोनों बाजूओं को भी उसी ओर रोटेट करें। इसी प्रकार जब कमर को दाईं ओर झुकाएं, तो बाजूओं को भी उस ओर मोड़ लें।
3. कटिचक्रासन (Standing spinal twist pose)
दोनों पैरों के मध्य दूरी बनाकर रखें और शरीर के उपरी हिस्से को पीछे की ओर लेकर जाएं। इस दौरान दोनों बाजूओं को भी खोले और उन्हें भी पीछे की ओर ले जाएं। दोनों ओर शरीर को बारी बारी से घुमाएं। इस दौरान गहरी सांस लें और छोड़ें। जब पीछे की ओर मुड़े, तो गर्दन भी पीछे की ओर घुमाएं।
4. तिर्यक भुजंगासन (Twisting cobra pose)
पेट के बल जमीन पर लेट जाएं और दोनों पैरों को जमीन से छूएं। अब दोनों बाजूओं को कोहनी से मोड़ते हुए हाथों को कंधों के पास लेकर आएं। शरीर को आगे से उपर की ओर उठाएं, जितना संभव हो शरीर को उपर की ओर लेकर जाएं। उपर उठने के दौरान गर्दन को दांई ओर घुमाएं और फिर बाईं ओर घुमाएं।
5. उदाराकर्षण
दोनों घुटनों को जमीन से छूएं। अब दांए पैर को जमीन से सटाकर रखें और घुटने का उठाकर सर्कुलर मोशन में घुमाएं। दाएं हाथ को दांए घुटने पर रखें और घुटने को क्लॉक वाइस और एंटीक्लॉक वाइज़ घुमाएं। 30 सेकण्ड तक इस योगासन को करने के बाद दूसरे घुटने से भी यही प्रतिक्रिया दोहराएं।
जानें शंख प्रक्षालन के फायदे
1. गैस्ट्रोइंटेसटाइनल कैनल को करें क्लीन
एनआईएच के अनुसार शंख प्रक्षालान बॉवल मूवमेंट को नियमित बनाए रखने में मददगार साबित होता है। इसकी मदद से गैस्ट्रोइंटेसटाइनल कैनल को आसानी से क्लीन किया जा सकता है। इसकी मदद से एलीमेंटरी कैनल में मौजूद ऑटोइनटॉक्सीकेंटस को दूर करने में मदद मिलती है।
2. डायबिटीज़ को करे नियंत्रित
इस प्रक्रिया को रोज़ाना करने से डायबिटीज़ को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। शरीर में बढ़ने वाले ब्लड प्रेशर की समस्या भी हल हो जाती है। नियमित प्रयास से शरीर में इंसुलिन का स्तर उचित बना रहता है। इसके अलावा शरीर में बढ़ने कोलेस्ट्रॉल को भी कम किया जा सकता है।
3. मेंटल हेल्थ को करें बूस्ट
दिनों दिन बढ़ रही एंग्ज़ायटी से बचने के लिए शंख प्रक्षालान का अभ्यास फायदेमंद साबित होता है। एनआईएच की रिपोर्ट के अनुसार आंतों में मौजूद टॉक्सिक पदार्थों के साथ एंगर और सैडनेस जैसे इंमोशंस भी कम होने लगते हैं। रिसर्च के अनुसार इंटेस्टाइंस में न्यूरॉन्स पाए जाते हैं। आंतों की क्लीनिंग से मांइड रिलैक्स और फोकस्ड होने लगता है।
4. शरीर में लचीलापन बढ़ाए
इस योग प्रक्रिया की मदद से शरीर में लचीलापन बढ़ने लगता है। टांगों, कमर और कंधों में बढ़ने वाली स्टिफनेस से मुक्ति मिलती है। शरीर स्वस्थ रहता है और कई बीमारियों का जोखिम भी कम होने लगता है। इसके नियमित प्रयास से शरीर का पोश्चर उचित बना रहता है।
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