SEBI tightens F&O rules effective Nov 20, announces slew of measures; daily expiries to go, contract sizes to triple | SEBI ने F&O को लेकर नया सर्कुलर जारी किया: इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइज 15 लाख होगा, नए नियम 20 नवंबर से लागू होंगे


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मुंबई36 मिनट पहले

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सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) को लेकर एक नया सर्कुलर जारी किया है। सर्कुलर के मुताबिक, सेबी के F&O से जुड़े नए नियम 20 नवंबर से लागू होंगे। 1 फरवरी से ऑप्शन बायर्स से अपफ्रंट प्रीमियम लिया जाएगा और इंट्रा-डे पोजिशन लिमिट की निगरानी भी होगी।

साथ ही इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए इंडेक्स फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट की वैल्यू यानी कॉन्ट्रैक्ट साइज को बढ़ाकर कम से कम 15 लाख कर दिया गया है। इसके बाद धीरे-धीरे वैल्यू 20 लाख रुपए तक कर दी जाएगी। अभी ये 5 लाख से 10 लाख रुपए तक होती है। SEBI ने डेरिवेटिव्स फ्रेमवर्क को भी सख्त किया है। इंडेक्स ऑप्शन बायर्स से अपफ्रंट ऑप्शन प्रीमियम लिया जाएगा।

एक्सचेंज की एक ही दिन वीकली एक्सपायरी होगी

सेबी के मुताबिक, फ्यूचर्स एंड ऑप्शन के नए नियम 20 नवंबर से कई फेज में लागू होंगे। ऑप्शन एक्सपायरी के दिन शॉर्ट ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए 2% का एडिशनल मार्जिन लिया जाएगा। वहीं हर हफ्ते एक्सचेंज की सिर्फ एक ही दिन वीकली एक्सपायरी होगी।

पोजीशन लिमिट्स की इंट्राडे मॉनिटरिंग 1 अप्रैल 2025 से होगी

पोजीशन लिमिट्स की इंट्राडे मॉनिटरिंग 1 अप्रैल 2025 से होगी। ऑप्शन प्रीमियम और बढ़े मार्जिन का अपफ्रंट कलेक्शन फरवरी 2025 से लागू होगा। वहीं एक्सपायरी के दिन कैलेंडर स्प्रेड का लाभ नहीं मिलेगा। ऑप्शंस खरीदारों से पूरा अपफ्रंट मार्जिन लिया जाएगा। पोजिशन की इंट्राडे मॉनिटरिंग भी होगी।

सेबी ने नए नियम क्यों लागू किए?

डेरिवेटिव मार्केट काफी जोखिम भरा है। सेबी की फिलहाल चिंता इस बात पर है कि इसमें रिटेल निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ रही है। सेबी का मानना है कि निवेशक इसमें इसलिए आ रहे हैं, क्योंकि उन्हें यहां से बेहद ऊंचे मुनाफे मिलने की उम्मीद है।

हालांकि, ऐसे निवेशकों में से ज्यादातर को डेरिवेटिव मार्केट की समझ नहीं है। सेबी के द्वारा सीमाओं को बढ़ाने के पीछे उद्देश्य ये है कि डेरिवेटिव मार्केट में ऐसे ही निवेशक उतरें जो मार्केट को लेकर गंभीरता से सोचते हैं।

फ्यूचर्स एंड ऑप्शन क्या होता है?

फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) एक प्रकार के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट हैं जो निवेशक को स्टॉक, कमोडिटी, करेंसी में कम पूंजी में बड़ी पोजीशन लेने की अनुमति देते हैं। फ्यूचर्स और ऑप्शन, एक प्रकार के डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट होते हैं, जिनकी तय अवधि होती है।

इस समय सीमा के अंदर इनकी कीमतों में स्टॉक की प्राइस के अनुसार बदलाव होते हैं। हर शेयर का फ्यूचर्स और ऑप्शन एक लॉट साइज में अवेलेबल होता है।

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