SEBI F&O Guidelines; Futures Options New Rules Regulations Criteria Update | NSE ने F&O ट्रेडिंग में लॉट साइज 3 गुना बढ़ाया: इसमें 93% लोग नुकसान उठा रहे; बी-टेक स्टूडेंट ने ₹46 लाख गंवाए


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नई दिल्ली10 मिनट पहलेलेखक: आदित्य मिश्रा

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बात जून 2024 की है। असम बेस्ड CA हैं रोशन अग्रवाल। उनके पास बी-टेक थर्ड ईयर का एक स्टूडेंट इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने आया। उसे 2023-2024 में फ्यूचर एंड ऑप्शन्स (F&O) ट्रेडिंग में 26 लाख रुपए का लॉस हुआ था, लेकिन इनकम का कोई सोर्स नहीं था। एक साल पहले भी उस स्टूडेंट को 20 लाख रुपए का नुकसान हुआ था।

माता-पिता को भी इस नुकसान के बारे में नहीं पता। माता-पिता अलग हो चुके हैं। मां एक होटल बिजनेस चलाती हैं। फ्यूचर एंड ऑप्शन्स ट्रेडिंग के लिए उसने माइक्रोफाइनेंस करने वाले मोबाइल ऐप्स से पर्सनल लोन लिया, दोस्तों से पैसे उधार लिए, और माता-पिता को बिना बताए उनके अकाउंट से भी पैसे निकाल लिए।

CA ने कहा- स्टूडेंट अपने फाइनेंशियल निर्णय सोशल मीडिया और दोस्तों से प्रभावित होकर ले रहा था। उसके एक दोस्त ने पिछले साल F&O ट्रेडिंग से 1 करोड़ रुपए कमाए थे। CA ने जब उस स्टूडेंट से पूछा कि वह ट्रेडिंग छोड़ क्यों नहीं देता, तो स्टूडेंट ने कहा कि वह इसका ऐडिक्ट हो चुका है वह इसे छोड़ नहीं पा रहा।

ये कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं है, हाल ही में आई सेबी की एक रिपोर्ट बताती है कि F&O सेगमेंट में ट्रेड करने वाले 93% यानी हर 100 में से 93 ट्रेडर नुकसान में हैं। वित्त वर्ष 2022 से 2024 के बीच में 1 करोड़ से ज्यादा F&O ट्रेडर्स में से 93 लाख ने 1.8 लाख करोड़ रुपए गंवाए हैं। F&O ट्रेडिंग करने वाले 30 साल से कम उम्र के ट्रेडर्स का प्रपोशन FY23 में 31% था जो FY24 में बढ़कर 43% हो गया है।

रिटेल निवेशकों को नुकसान से बचाने सेबी का नया सर्कुलर, तीन बड़ी बातें…

1. ऑप्शन बायर्स से प्रीमियम का अपफ्रंट कलेक्शन: ऑप्शन बायर्स से ऑप्शन प्रीमियम का अपफ्रंट कलेक्शन किया जाएगा। ज्यादातर ब्रोकर्स इस नियम का पालन पहले से कर रहे हैं, लेकिन जो नहीं कर रहे उन्हें भी यह करना होगा। यह नियम 1 फरवरी 2025 से लागू होगा।

2. इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइज बढ़ाया: सेबी ने इंडेक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइज को 5-10 लाख रुपए से बढ़ाकर 15 लाख रुपए कर दिया है। यानी, अब बायर्स को एक लॉट के लिए ज्यादा पैसा देना होगा यह रूल 20 नवंबर 2024 से प्रभावी होगा।

3. एक्सपायरी प्रति एक्सचेंज एक तक सीमित करना: वीकली इंडेक्स एक्सपायरी को प्रति एक्सचेंज एक तक सीमित किया गया है। यानी, निफ्टी, बैंक निफ्टी, निफ्टी फाइनेंशियल जैसे इंडेक्सों की एक्सपायरी एक ही दिन होगी। पहले ये हफ्ते में अलग-अलग दिन होती थी।

निफ्टी 50 का लॉट साइज 25 से बढ़कर 75 हुआ

मार्केट रेगुलेटर सेबी के आदेश के बाद नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने अपने सभी पांचों इंडेक्स डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के लॉट साइज को बढ़ा दिया है। निफ्टी 50 के लॉट साइज को 25 से बढ़ाकर 75 कर दिया है, जो 3 गुना की बढ़ोतरी है।

निफ्टी बैंक का लॉट साइज 15 से बढ़ाकर 30 कर दिया है। सेबी को उम्मीद है कि इस कदम से रिटेल निवेशकों का F&O में पार्टिसिपेशन कम होगा। 20 नवंबर 2024 से से नए लॉट साइज लागू होंगे।

ब्रोकर्स का 65% से 85% रेवेन्यू F&O से आता है

स्टॉक ब्रोकर्स अपना ज्यादातर रेवेन्यू फ्यूचर एंड ऑप्शन्स ट्रेडिंग से जनरेट करते हैं जो 65% से 85% के करीब है। बीते दिनों ब्रोकरेज फर्म जिरोधा के फाउंडर नितिन कामथ ने कहा था कि सेबी F&O के रेस्ट्रिक्ट करने वाले रेगुलेटर चेंज से ब्रोकर्स के रेवेन्यू बुरी तरह से प्रभावित हो सकते हैं।

2019 से 2024 बीच 4 गुना बढ़े डीमैट अकाउंट

आज से 10 साल पहले यानी 2014 में डीमैट अकाउंट की संख्या करीब 2.25 करोड़ थी। अगले 5 साल यानी 2019 में यह संख्या 3.6 करोड़ तक पहुंची। लेकिन इसके बाद वाले 5 साल यानी 2019 से 2024 तक यह संख्या करीब 4 गुना बढ़कर 17 करोड़ से ज्यादा हो गई।

हालांकि, डीमैट अकाउंट को सीधे तौर पर निवेशकों की संख्या से जोड़ा नहीं जा सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि एक निवेशक के कई डीमैट अकाउंट हो सकते हैं। फिर भी इससे निवेशकों की संख्या का एक मोटा अनुमान मिल जाता है कि निवेशक बाजार में बढ़ रहे हैं।

फ्यूचर्स एंड ऑप्शन क्या होता है?

फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) एक प्रकार के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट हैं जो निवेशक को स्टॉक, कमोडिटी, करेंसी में कम पूंजी में बड़ी पोजीशन लेने की अनुमति देते हैं। फ्यूचर्स और ऑप्शन, एक प्रकार के डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट होते हैं, जिनकी एक तय अवधि होती है।

इस समय सीमा के अंदर इनकी कीमतों में स्टॉक की प्राइस के अनुसार बदलाव होते हैं। हर शेयर का फ्यूचर्स और ऑप्शन एक लॉट साइज में अवेलेबल होता है।

एक ही ट्रेडिंग डे के भीतर शेयरों की खरीद और बिक्री है इंट्राडे ट्रेडिंग

इंट्राडे ट्रेडिंग को डे-ट्रेडिंग भी कहा जाता है। इसमें एक ही ट्रेडिंग डे के भीतर शेयरों की खरीद और बिक्री होती है। ट्रेडिंग डे के दौरान शेयरों की कीमत लगातार बदलती रहती है। ऐसे में इंट्रा-डे ट्रेडर शॉर्ट टर्म में शेयर में उतार-चढ़ाव से मुनाफा कमाते हैं।

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