मुंबई19 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (6 सितंबर) को ICICI बैंक की पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को नोटिस जारी कर उनकी गिरफ्तारी को अवैध बताने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर जवाब मांगा है।
दरअसल, बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस साल 6 फरवरी लोन फ्रॉड मामले में चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर की गिरफ्तारी को अवैध बताया था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा था कि CBI ने चंदा और दीपक कोचर की गिरफ्तारी बिना दिमाग लगाए और कानून का उचित सम्मान किए बिना की है।
जस्टिस संजीव खन्ना और संजय कुमार की पीठ ने दोनों को नोटिस जारी किया और CBI की ओर से दायर अपील पर उनसे जवाब मांगा। चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को CBI ने 23 दिसंबर, 2022 को वीडियोकॉन-ICICI बैंक लोन मामले में गिरफ्तार किया था।
CBI ने 23 दिसंबर 2022 को चंदा और दीपक को किया था गिरफ्तार वीडियोकॉन-ICICI बैंक लोन मामले में CBI ने 23 दिसंबर 2022 को चंदा और दीपक को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्होंने तुरंत गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया और इसे अवैध घोषित करने की मांग की थी। इसके अलावा अंतरिम आदेश के माध्यम से जमानत पर रिहा करने की मांग भी की थी।
9 जनवरी 2023 को अदालत ने एक अंतरिम आदेश में कोचर को जमानत दे दी थी। यह देखते हुए कि CBI ने लापरवाही से और बिना दिमाग लगाए गिरफ्तारी की थी। वहीं 6 फरवरी के आदेश में बेंच ने कहा कि क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) की धारा 41A को नियमित गिरफ्तारी से बचने के लिए पेश किया गया था।
समझें पूरा मामला…
वीडियोकॉन को लोन देकर फ्रॉड दीपक और चंदा कोचर पर आरोप है कि उन्होंने ICICI बैंक की ओर से वीडियोकॉन को दिए गए लोन के जरिए फ्रॉड किया। ये लोन बाद में नॉन परफॉर्मिंग एसेट में बदल गए। इस मामले में दीपक और चंदा कोचर के खिलाफ CBI, ED, SFIO और आयकर विभाग जांच कर रहे हैं।
इसमें साल 2012 में वीडियोकॉन को दिया 3250 करोड़ रुपए का लोन शामिल है। आरोपों के अनुसार, वीडियोकॉन ग्रुप के पूर्व चेयरमैन वेणुगोपाल धूत ने कोचर की कंपनी नूपॉवर रिन्यूएबल्स में वीडियोकॉन को लोन मिलने के बाद करोड़ों रुपए का निवेश किया था।
लोन को एक कमेटी से मंजूरी दी गई थी, जिसमें चंदा कोचर भी एक मेंबर थीं। अक्टूबर 2018 में इस मामले को लेकर चंदा को इस्तीफा देना पड़ा था।
2016 में शुरू हुई थी मामले की जांच इस मामले की जांच 2016 में शुरू हुई थी जब दोनों फर्मों, वीडियोकॉन ग्रुप और ICICI बैंक में एक निवेशक अरविंद गुप्ता ने लोन अनियमितताओं के बारे में चिंता जताई थी। गुप्ता ने RBI और यहां तक कि प्रधानमंत्री को इस बारे में लिखा था, लेकिन उनकी शिकायत पर उस समय कोई ध्यान नहीं दिया गया। मार्च 2018 में एक अन्य व्हिसल-ब्लोअर ने शिकायत की।
24 जनवरी 2019 को FIR टॉप मैनेजमेंट के खिलाफ की गई शिकायत के बाद कई एजेंसियों का ध्यान इस ओर गया। हालांकि, उसी महीने बैंक ने बयान जारी कर कहा कि उन्हें चंदा कोचर पर पूरा भरोसा है। वीडियोकॉन ग्रुप के लोन पास करने में चंदा की कथित भूमिका की जांच के बाद यह बयान दिया गया था। एजेंसियां अपनी जांच करती रहीं और बैंक पर बढ़ रहे प्रेशर के बाद उसने भी जांच शुरू की। इसके बाद CBI ने 24 जनवरी 2019 को FIR दर्ज की।
चंदा, दीपक, धूत समेत 4 कंपनियों का नाम CBI ने लोन फ्रॉड मामले में चंदा कोचर, दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप के वेणुगोपाल धूत के साथ-साथ नूपावर रिन्यूएबल्स, सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को IPC की क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी, चीटिंग और करप्शन से जुड़ी धाराओं के तहत रजिस्टर्ड फर्स्ट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट (FIR) में आरोपी बनाया था।
2020 में ED ने किया था अरेस्ट जनवरी 2020 में प्रवर्तन निदेशालय ने कोचर परिवार की 78 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति कुर्क की थी। इस के बाद एजेंसी ने कई दौर की पूछताछ के बाद दीपक कोचर को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया था।