Ratan Tata was shy to go to school in a Rolls Royce, On the advice of his father, he completed his architecture and engineering degree in 7 years. | रोल्स रॉयस से स्कूल जाने में शर्माते थे रतन टाटा: पिता के कहने पर आर्किटेक्ट और इंजीनियरिंग की डिग्री ली, एक्‍स्‍ट्रा करिकुलर से हमेशा दूरी रखी


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7 मिनट पहलेलेखक: जाहिद अहमद

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‘मुझे याद है कि मेरी दादी के पास एक बहुत पुरानी रोल्स रॉयस कार हुआ करती थी। वह उस कार को मेरे भाई और मुझे स्कूल से लेने के लिए भेजती थीं। लेकिन हम दोनों को उस कार में बैठने में इतनी शर्म आती थी कि हम पैदल घर लौट आते थे।’

रतन टाटा ने एक इंटरव्‍यू के दौरान ये किस्‍सा बताया था। वो कहते थे कि लोगों के बीच बोलना या एक्‍स्‍ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में हिस्‍सा लेने से वो हमेशा दूर ही रहे। उसकी सादगी हमेशा उनके जीवन की पहचान बनकर रही।

9 अक्‍टूबर को रतन टाटा ने 86 साल की उम्र में अपनी आखिरी सांस ली। 3,800 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक रतन टाटा ने अपनी पढ़ाई और काम से कभी समझौता नहीं किया। एक दौर में टाटा ग्रुप के बारे में कहा जाता था कि इस कंपनी का कोई भी शेयर उठा लो, मुनाफा ही देकर जाएगा।

रॉल्स रॉयस से स्कूल जाने पर शर्मिंदगी होती थी

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को नवल टाटा और सूनू टाटा के घर हुआ था। जब वे सिर्फ 10 साल के थे, तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया। इसके बाद रतन और उनके भाई जिम्मी टाटा की देखभाल उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने की थी।

एक इंटरव्यू के दौरान रतन टाटा ने अपने स्कूल के दिनों का एक किस्सा याद करते हुए बताया था कि उनकी दादी उन्‍हें स्‍कूल से लाने के लिए अपनी लग्‍जरी गाड़ी भेजती थी, मगर उन्‍हें और उनके भाई को स्‍कूल में उस गाड़ी में बैठने में शर्म आती थी।

रतन टाटा अपनी दादी नवाजबाई टाटा के साथ।

शर्मीले स्वभाव के डर से जीवन भर नहीं उबर पाए

रतन, टाटा ग्रुप की स्थापना करने वाले जमशेदजी टाटा के परपोते थे। इतने बड़े खानदान में जन्मे रतन का स्वभाव स्कूल में शर्मीला था।

वे बताते थे, ‘एक चीज जिससे मैं कभी उबर नहीं पाया, वह है सार्वजनिक रूप से बोलने का डर। स्‍कूल में मैं न कभी एसेंबली में बोलता था, न ही एक्‍स्‍ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में शामिल होता था।’

स्कूल के दिनों की तस्वीर। रतन टाटा (बाएं) छोटे भाई जिम्मी टाटा (दाएं) के साथ।

मुंबई, शिमला और न्यूयॉर्क से पूरी की पढ़ाई

रतन टाटा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई मुंबई के कैम्पियन स्कूल से की। इस स्कूल में वे 8वीं क्लास तक ही पढ़े। फिर आगे की पढ़ाई के लिए रतन मुंबई में कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल चले गए।

अपनी पढ़ाई को हमेशा गंभीरता से लेने वाले रतन को हायर एजुकेशन के लिए शिमला के बिशप कॉटन स्कूल भेज दिया गया। 1955 में वे न्यूयॉर्क चले गए, जहां रिवरडेल कंट्री स्कूल से उन्होंने ग्रेजुएशन पूरा किया।

60 के दशक की तस्वीर। युवावस्था के दौरान रतन टाटा।

7 साल में आर्किटेक्ट और इंजीनियरिंग डिग्रियां लीं

वे हमेशा से आर्किटेक्ट बनना चाहते थे। हालांकि, उनके पिता नवल टाटा उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे। इसी के चलते रतन ने 17 साल की उम्र में अमेरिका की मशहूर कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के कॉर्नेल कॉल ऑफ आर्किटेक्चर में दाखिला लिया। 1962 में उन्होंने यहां से B.Arch की डिग्री हासिल की।

रतन ने अपने पिता की इच्छा के मुताबिक, 7 साल के दौरान इंजीनियरिंग और आर्किटेक्ट दोनों डिग्रियां हासिल की थीं। इस दौरान उनकी दादी की तबीयत खराब होने की वजह से वे भारत वापस आ गए।

रतन टाटा (दाएं) अपने पिता नवल टाटा (दाएं) और भाई नोएल टाटा (मध्य) के साथ।

टाटा ने एक लेख में लिखा था कि मैं और मेरे पिता करीब थे और नहीं भी थे। मुझे कहना होगा कि एक पिता-पुत्र की तरह शायद हमारे विचारों में भी भिन्नता थी। हालांकि, मेरे पिता टकराव से नफरत करते थे।

असिस्टेंट के तौर पर हुई करियर की शुरुआत

अपने करियर की शुरुआत उन्‍होंने असिस्टेंट के तौर पर की थी। 1962 में उन्‍हें समूह की ओरिजनेटर कंपनी ‘टाटा इंडस्ट्रीज’ में नौकरी का प्रस्ताव मिला। 1977 में मशीन्स कोर की जिम्मेदारी मिली।

रतन उसमें कामयाब रहे, लेकिन इन्वेस्टर नहीं मिला और 1986 में वह कंपनी बंद कर दी गई। किसी को नहीं लगा था कि रतन टाटा कभी जेआरडी टाटा के उत्तराधिकारी बनेंगे।

70 के दशक के दौरान रतन टाटा।

2007 में फाल्कन-16 जेट चलाने वाले पहले भारतीय बने

टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा करीब 3,800 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक थे। वे अक्सर कहते थे कि आर्किटेक्ट ने उन्हें एक समझदार कारोबारी लीडर बनने में मदद की। हालांकि, इस कला का इस्तेमाल करने के लिए मुट्ठी भर मौकी ही मिले। उन्होंने अपनी मां के लिए भी एक घर डिजाइन किया था।

2007 में फाइटर जेट फॉल्कन 16 से उतरते हुए रतन टाटा।

विमान, तेज कारें और स्कूबा डाइविंग उनका शौक रहा। रतन टाटा 2007 में एफ-16 फाल्कन जेट को चलाने वाले पहले भारतीय बने थे।

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