डॉ. दीपक जैन डायरेक्टर, एएएफएम इंडिया3 मिनट पहले
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संपत्ति को अगली पीढ़ी को सौंपने के दो मुख्य तरीके हैं, गिफ्ट डीड और वसीयत। दोनों कानूनी रूप से संपत्ति हस्तांतरित करने के साधन हैं। लेकिन इनका सबसे बड़ा अंतर यह है कि गिफ्ट डीड संपत्ति को जीवनकाल में हस्तांतरित करती है, जबकि वसीयत मृत्यु के बाद प्रभावी होती है। आइए समझते हैं…
1. गिफ्ट डीड: यह स्थायी प्रक्रिया होती है। एक बार संपत्ति हस्तांतरित हो जाने के बाद, मालिक उस पर अधिकार खो देता है। इसलिए संपत्ति केवल उसी व्यक्ति को सौंपें जिस पर आपको पूरा भरोसा हो। संपत्ति का बड़ा हिस्सा किसी एक व्यक्ति को देने से अन्य वारिसों में विवाद भी उत्पन्न हो सकता है।
दो गवाहों के हस्ताक्षर जरूरी
- डीड तैयार करना: इसमें दाता, प्राप्तकर्ता और संपत्ति का विवरण शामिल होता है।
- गवाहों की आवश्यकता: दो गवाहों के हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं।
- स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन: स्टाम्प ड्यूटी राज्यों के अनुसार अलग-अलग होती है।
- महाराष्ट्र: ब्लड रिलेशन के लिए स्टाम्प ड्यूटी ₹200 और 1 फीसदी मेट्रोपोलिटन सेस है।
- उत्तर प्रदेश: ब्लड रिलेशन के लिए स्टाम्प ड्यूटी ₹5,000 रुपए तक हो सकती है।
टैक्स के नियम
- रिश्तेदारों के लिए टैक्स छूट: निकट संबंधियों को दी गई संपत्ति टैक्स मुक्त होती है।
- गैर-रिश्तेदारों के लिए टैक्स: ₹50,000 से अधिक की संपत्ति पर टैक्स देना पड़ता है।
- कैपिटल गेन टैक्स: प्राप्तकर्ता को संपत्ति बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स देना होता है, जो संपत्ति की मूल खरीद कीमत पर निर्भर होता है।
2. वसीयत: वसीयत एक कानूनी दस्तावेज है जो यह सुनिश्चित करता है कि मृत्यु के बाद आपकी संपत्ति किसे और कैसे दी जाएगी। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि आप जीवनभर संपत्ति पर अधिकार बनाए रखते हैं। आप वसीयत किसी भी समय बदल सकते हैं।
वसीयत की प्रोसेस
- वसीयत तैयार करना: इसमें यह स्पष्ट किया जाता है कि आपकी संपत्ति किसे और कैसे बांटी जाएगी।
- गवाहों की आवश्यकता: वसीयत पर दो गवाहों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं।
- रजिस्ट्रेशन (वैकल्पिक): अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।
टैक्स नियम
- उत्तराधिकार टैक्स नहीं: भारत में वसीयत के जरिये संपत्ति हस्तांतरण पर उत्तराधिकार टैक्स नहीं लगता।
- कैपिटल गेन टैक्स: वारिस संपत्ति बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स का भुगतान करेगा।