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ऑम्निचैनल फर्नीचर रिटेलिंग स्टार्टअप पेपरफ्राई (Pepperfry) ने बिक्री में गिरावट के बीच खरीदार खोजने के लिए एंबिट को अपॉइंट किया है। यह जानकारी मनीकंट्रोल को मामले की जानकारी रखने वालों से मिली है। सूत्रों ने बताया कि एंबिट का काम संभावित खरीदार की तलाश करना या फिर अगर सौदे की शर्तें अनुकूल हैं तो किसी बड़ी कंपनी द्वारा स्ट्रैटेजिक एक्वीजीशन को संभव करना है। कंपनी में नॉर्वेस्ट वेंचर पार्टनर्स का पैसा लगा हुआ है।
पेपरफ्राई करीब 12 साल पुरानी कंपनी है। इसके लिए अब आगे ऑपरेशंस बरकरार रखना मुश्किल होता जा रहा है। सोर्सेज में से एक ने कहा, “कंपनी का रेवेन्यू स्थिर हो गया है और पिछले चार सालों में इसका घाटा भी कम नहीं हुआ है। इससे निवेशकों को वैकल्पिक रास्ता तलाशने और रणनीतिक खरीदार खोजने के लिए मजबूर होना पड़ा है ताकि उन्हें एग्जिट का रास्ता मिल सके।”
IPO की कोशिश हो चुकी है नाकाम
कंपनी ने अभी तक एक भी खरीदार शॉर्टलिस्ट नहीं किया है, लेकिन चर्चाएं जारी हैं। आईपीओ की कोशिशों के नाकाम होने के बाद पेपरफ्राई बिक्री की संभावना तलाश रही है। अगस्त 2023 में इसके को-फाउंडर और पूर्व सीईओ अंबरीश मूर्ति का निधन हो गया था। मूर्ति को बड़े पैमाने पर स्टार्टअप के पीछे ड्राइविंग फोर्स के रूप में देखा जाता था और उन्होंने पिछले वर्षों में कंपनी को आगे बढ़ाया था।
कितना है रेवेन्यू और मुनाफा
पेपरफ्राई के लिए ग्रोथ एक चुनौती रही है। प्राइवेट मार्केट्स डेटा प्रोवाइडर ट्रैक्सन के आंकड़ों से पता चलता है कि पेपरफ्राई ने वित्त वर्ष 2019 में 207 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल किया। वित्त वर्ष 2023 के अंत तक कंपनी अपने रेवेन्यू को 290 करोड़ रुपये तक ही बढ़ा सकी। इस अवधि के दौरान पेपरफ्राई का घाटा सालाना 180-190 करोड़ रुपये के आसपास रहा। स्टार्टअप ने अभी तक अपने वित्त वर्ष 2024 के नतीजे दाखिल नहीं किए हैं।
संभावित खरीदारों को लेकर एक सोर्स ने कहा कि नेरोलैक, बर्जर पेंट्स, बिरला ओपस और एशियन पेंट्स जैसी पेंट कंपनियां पेपरफ्राई जैसे सौदे पर विचार कर सकती हैं क्योंकि वे डॉमेस्टिक सर्विसेज में विस्तार कर रही हैं। लिवस्पेस जैसी बड़ी प्रतिद्वंद्वी भी बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए पेपरफ्राई का अधिग्रहण करने पर विचार कर सकती है।
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