अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर बन रहे दिव्य मंदिर में अगले वर्ष 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह में देश भर के 150 पंथ संप्रदाय के धर्माचार्य शिरकत करेंगे। इन सम्प्रदायों के दो हजार संतों को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र आमंत्रित करेगा। सोमवार को तीर्थ क्षेत्र के रामकोट स्थित कार्यालय पर विश्व हिन्दू परिषद की केंद्रीय और क्षेत्रीय पदाधिकारियों की दो चल रही दो दिवसीय बैठक के दूसरे दिन यह फैसला लिया गया।
शिलापूजन व कारसेवा की तरह होगी सहभागिता प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या के राममंदिर के साथ ही पूरी दुनिया में दीपोत्सव का आयोजन होगा। मठ, मंदिर और घर-घर में दीपोत्सव मनेगा। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का लाइव प्रसारण दिखाया जायेगा। पांच लाख गांवों में वीएचपी लाइव प्रसारण का इंतजाम करेगी। इस संबंध में विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन देश भर के मठ- मंदिरों में पूजा-पाठ और यज्ञ-हवन किया जाएगा। प्रभु श्रीराम की आरती होगी। रात में हर घर में राम भक्त पांच दीपक जलाएंगे। करोड़ों भक्तों के बीच प्रसाद बांटा जाएगा।
बजरंग दल के बैनर तले देश के पांच लाख से ऊपर गांवों तक तीस सितंबर से पंद्रह अक्टूबर तक दस हजार प्रखंडों में शौर्य यात्राएं निकाली जाएगी। ऐसी करीबन बड़ी और छोटी दो हजार दो सौ इक्यासी यात्राएं निकलेगी। पदाधिकारियों ने कहा हर गांव की सहभागिता उसी प्रकार होगी जैसी शिला पूजन और कारसेवा के दौरान थी। संगठन पदाधिकारियों का मानना है कि मंदिर निर्माण समर्पण निधि कार्यक्रम की ही भांति प्राणप्रतिष्ठा समारोह से देश भर के पांच लाख गांवों को जोड़ा ही ना जाय बल्कि इन स्थानों पर नवीन विहिप हितचिंतकों का निर्माण भी हो जिससे संगठन का आधार भी मजबूत होगा।
श्रीरामजन्म भूमि में निर्माणाधीन दिव्य मंदिर में विराजित होने वाले रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का पांच दिवसीय अनुष्ठान का मुहूर्त 17 जनवरी से शुरू होगा। 22 जनवरी को रामलला को गर्भगृह के महापीठ पर प्रतिष्ठित कर दिया जाएगा। विद्वानों की टोली में शामिल काशी के मूर्धन्य आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के उत्तराधिकारी पंडित जय कृष्णा दीक्षित ने बताया कि रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान पांच दिवसीय होगा और 17 जनवरी से शुरू होगा।
इस अनुष्ठान का श्रीगणेश श्रीरामजन्म भूमि परिसर में ईशान कोण पर फकीरे राम मंदिर में शुरू होगा। यह निर्णय सोमवार को काशी से आए विद्वान आचार्यों ने लिया है। कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती महाराज की ओर से ज्योतिष व कर्मकांड के अलग-अलग आचार्यों को यहां भेजा गया था।
स्रोत – हिंदुस्तान