ओफियोफैगस कालिंगा
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में, कर्नाटक की किंग कोबरा प्रजाति, जिसे स्थानीय रूप से ‘कालिंगा सर्पा (Kaalinga Sarpa)‘ के नाम से जाना जाता है, को वैज्ञानिक समुदाय में आधिकारिक तौर पर ओफियोफैगस कलिंगा नाम दिया गया है।
- किंग कोबरा को पहली बार 1836 में डेनिश प्रकृतिवादी थियोडोर एडवर्ड कैंटर द्वारा ओफियोफैगस हन्ना (Ophiophagus hannah) के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
- किंग कोबरा पर 186 वर्षों तक कोई आनुवंशिक अध्ययन नहीं किया गया था।
- भौगोलिक वंशावली के आधार पर किंग कोबरा को चार अलग-अलग प्रजातियों में पुनर्वर्गीकृत किया गया है:
- उत्तरी किंग कोबरा (ओफियोफैगस हन्नाह): यह पाकिस्तान से लेकर पूर्वी चीन और दक्षिण पूर्व एशिया तक पाया जाता है।
- सुंडा किंग कोबरा (ओफियोफैगस बंगारस): थाईलैंड, मलेशिया और फिलीपींस के कुछ हिस्सों सहित दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है।
- पश्चिमी घाट किंग कोबरा (ओफियोफैगस कलिंगा): भारत के पश्चिमी घाट में स्थानिक रूप से पाया जाता है।
- लूज़ॉन किंग कोबरा (ओफियोफैगस सल्वाटाना): केवल फिलीपींस के लूज़ॉन द्वीप पर पाया जाता है।
- किंग कोबरा दिनचर (दिन के समय सक्रिय) होते हैं, तथा मुख्य रूप से रैट स्नेक, धामन और अन्य कोबरा जैसे साँपों को खाते हैं।
- किंग कोबरा एकमात्र ऐसा साँप है जो अंडे से बच्चे निकलने तक घोंसला बनाता है और उसकी रखवाली करता है।
- इसके विष का उपयोग कोब्रोक्सिन और नाइलॉक्सिन जैसी दर्द निवारक दवाओं के विकास में किया जाता है।
और पढ़ें: सर्प विष को निष्क्रिय करने वाली एंटीबॉडी