रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के डेटा से पता चला है कि पिछले दो वर्षों में UPI से की गई ट्रांजैक्शंस की वैल्यू लगभग 137 प्रतिशत बढ़कर लगभग 200 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। फ्रॉड डिटेक्शन प्लेटफॉर्म Bureau के हेड ऑफ ग्रोथ, Nikhil Jois ने बताया कि डिजिटल पेमेंट्स की बढ़ती लोकप्रियता से फ्रॉड करने वालों के लिए टारगेट बड़ा हुआ है। उन्होंने कहा, “वित्तीय साक्षरता की कमी और टेक्नोलॉजी के कम इस्तेमाल से जनसंख्या का बड़ा हिस्सा इस तरह के फ्रॉड का शिकार बन सकता है। फ्रॉड करने वाले एडवांस हो रहे हैं, जबकि फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस और फिनटेक कंपनियां मार्केट शेयर और ग्रोथ के लिए जूझ रही हैं।”
RBI ने उपभोक्ताओं को फाइनेंशियल फ्रॉड को लेकर जागरूक करने के लिए कई कैम्पैन शुरू किए हैं। UPI का विदेश में भी एक्सपैंशन किया जा रहा है। UPI सर्विस का श्रीलंका और मॉरीशस में लॉन्च किया गया है। मॉरीशस में RuPay कार्ड सर्विस को भी लॉन्च किया गया है। इससे श्रीलंका और मॉरीशस की यात्रा करने वाले भारतीयों के लिए UPI सर्विस उपलब्ध होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे मॉडर्न डिजिटल टेक्नोलॉजी के साथ ऐतिहासिक संबंधों को जोड़ने वाला बताया था। उन्होंने उम्मीद जताई कि नई फिनटेक सर्विसेज से दोनों देशों को मदद मिलेगी। मोदी का कहना था कि UPI ने भारत के साथ सहयोगियों को एकजुट करने की नई जिम्मेदारी संभाली है।
UPI में मोबाइल ऐप्स के जरिए रकम भेजने की सुविधा मिलती है। पिछले कुछ महीनों में देश में डिजिटल रुपये का दायरा भी बढ़ा है। इससे RBI को पिछले वर्ष के अंत तक इसकी प्रति दिन 10 लाख ट्रांजैक्शंस का टारगेट पूरा करने में आसानी हुई है। पिछले वर्ष के अंत में कुछ बड़े सरकारी और प्राइवेट बैंकों ने एंप्लॉयी बेनेफिट स्कीम्स से जुड़ी रकम को एंप्लॉयीज के CBDC वॉलेट्स में ट्रांसफर किया था। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) या ई-रुपये को कैश के डिजिटल विकल्प के तौर पर डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी के जरिए तैयार किया गया है।
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