कनेर का फूल
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में एक महिला द्वारा गलती से कनेर (ओलियंडर) की विषैली पत्तियाँ चबाने से मृत्यु हो गई, इस कारण केरल ने मंदिर के प्रसाद में ओलियंडर/कनेर के फूलों (Nerium Oleander) (स्थानीय रूप से अराली के नाम से जाना जाता है) के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- कनेर (ओलियंडर), जिसे रोज़बे भी कहा जाता है, एक व्यापक रूप से उगाया जाने वाला पौधा है जो विश्वभर के उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण क्षेत्रों में पाया जाता है।
- यह सूखे का सामना करने की अपनी क्षमता के लिये लोकप्रिय है तथा इसका उपयोग आमतौर पर भूनिर्माण एवं सजावटी उद्देश्यों के लिये किया जाता है।
- एक पारंपरिक औषधि के रूप में कनेर (ओलियंडर):
- यह कुष्ठ रोग जैसी दुःसाध्य और निरंतर बनी रहने वाली त्वचा की बीमारियों के इलाज के लिये आयुर्वेद द्वारा निर्धारित है।
- भावप्रकाश (आयुर्वेद पर एक प्रसिद्ध ग्रंथ) में इसे एक ज़हरीले पौधे के रूप में उल्लेखित किया है और संक्रमित घावों, त्वचा रोगों, रोगाणुओं एवं परजीवियों तथा खुजली के उपचार में इसके उपयोग की अनुशंसा की है।
- इस पौधे में कार्डियक ग्लाइकोसाइड्स (एक प्रकार का रसायन) होता है, जिसमें ओलेंड्रिन, फोलिनेरिन और डिजिटॉक्सिजेनिन जैसे तत्त्व सम्मिलित हैं, जो हृदय पर औषधीय प्रभाव डाल सकते हैं।
- कनेर विषाक्तता के लक्षणों में मतली, दस्त, उल्टी, चकत्ते, भ्रम, चक्कर आना, अनियमित हृदय गति, मंद ह्रदय गति और गंभीर मामलों में मृत्यु होना शामिल हैं।
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