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मुंबई30 मिनट पहले
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मार्केट रेगुलेटर सेबी के आदेश के बाद नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने अपने सभी पांचों इंडेक्स डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के लॉट साइज को बढ़ा दिया है। निफ्टी 50 के लॉट साइज को 25 से बढ़ाकर 75 कर दिया है, जो 3 गुना की बढ़ोतरी है। निफ्टी बैंक का लॉट साइज 15 से बढ़ाकर 30 कर दिया है।
निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज जिसे फिन निफ्टी के नाम से भी जाना जाता है, उसके लॉट साइज को NSE ने 25 से बढ़ाकर 65 कर दिया है। वहीं, निफ्टी मिडकैप सेलेक्ट के लॉट साइज को 50 से बढ़ाकर 120 कर दिया गया है। जबकि, निफ्टी नेक्स्ट 50 के लॉट साइज को 10 से बढ़ाकर 25 कर दिया गया है।
20 नवंबर 2024 प्रभावी होगा ये आदेश
NSE ने कहा है कि 20 नवंबर 2024 से सभी इंडेक्स कॉन्ट्रैक्ट बदले हुए नियम के हिसाब से इश्यू किए जाएंगे। हालांकि, पहले से जारी कुछ मंथली, क्वाटरली और हाफ इयरली कॉन्ट्रैक्ट अपनी एक्सपायरी तक मौजूदा लॉट साइज में ही रहेंगे।
NSE ने भले ही 20 नवंबर से लॉट साइज बदलने का फैसला किया है, लेकिन इसके पहले के जारी कॉन्ट्रैक्ट की वजह से नए लॉट साइज के हिसाब से कॉन्ट्रैक्ट में अलग-अलग समय लगेगा। अगले साल 2 जनवरी से पहले कोई भी कॉन्ट्रैक्ट नए लॉट साइज के हिसाब से एक्सपायर नहीं हो पाएगा। इसके साथ ही एक समय ऐसा भी होगा कि एक समय में नए और पुराने दोनों लॉट साइज वाले कॉन्ट्रैक्ट मौजूद रहेंगे।
इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइज बढ़ाकर ₹15 लाख किया
रिटेल निवेशकों को लॉस से बचाने के लिए सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) को लेकर 1 अक्टूबर को एक नया सर्कुलर जारी किया था। उसी के बाद NSE ने लॉट साइट में बदलाव किया है। सेबी के नए नियम इक्विटी इंडेक्स डेरिवेटिव फ्रेमवर्क को मजबूत करने के लिए एक एक्सपर्ट वर्किंग ग्रुप (EWG) की सिफारिशों पर बेस्ड हैं।
सेबी ने नए नियम क्यों लागू किए?
डेरिवेटिव मार्केट काफी जोखिम भरा है। सेबी की फिलहाल चिंता इस बात पर है कि इसमें रिटेल निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ रही है। सेबी का मानना है कि निवेशक इसमें इसलिए आ रहे हैं, क्योंकि उन्हें यहां से बेहद ऊंचे मुनाफे मिलने की उम्मीद है।
हालांकि, ऐसे निवेशकों में से ज्यादातर को डेरिवेटिव मार्केट की समझ नहीं है। सेबी की ओर से लॉट साइज बढ़ाने के पीछे उद्देश्य ये है कि डेरिवेटिव मार्केट में ऐसे ही निवेशक उतरें जो मार्केट को लेकर गंभीरता से सोचते हैं।
फ्यूचर्स एंड ऑप्शन क्या होता है?
फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) एक प्रकार के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट हैं जो निवेशक को स्टॉक, कमोडिटी, करेंसी में कम पूंजी में बड़ी पोजीशन लेने की अनुमति देते हैं। फ्यूचर्स और ऑप्शन, एक प्रकार के डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट होते हैं, जिनकी तय अवधि होती है।
इस समय सीमा के अंदर इनकी कीमतों में स्टॉक की प्राइस के अनुसार बदलाव होते हैं। हर शेयर का फ्यूचर्स और ऑप्शन एक लॉट साइज में अवेलेबल होता है।