निसार उपग्रह – Drishti IAS


निसार उपग्रह

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) उपग्रह, राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है, जिसे वर्ष 2025 की शुरुआत में प्रक्षेपित किया जाना प्रस्तावित है।

  • इसमें दो उन्नत रडार प्रणालियाँ शामिल हैं- नासा का L-बैंड रडार और इसरो का S-बैंड रडार– जिससे यह ऐसी दोनों रडार प्रणालियाँ ले जाने वाला पहला उपग्रह बन जाएगा। 

NISAR क्या है?

परिचय: 

  • इसका निर्माण वर्ष 2014 के साझेदारी समझौते के तहत अमेरिका और भारत के सहयोग से किया गया है और इसे भारत के आंध्र प्रदेश स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा। 
  • इस उपग्रह को इसरो के भू-तुल्यकाली उपग्रह प्रमोचन रॉकेट मार्क II का उपयोग करके पृथ्वी की निम्न कक्षा में प्रक्षेपित किया जाएगा।
  • उद्देश्य: यह प्रत्येक 12 दिन में पूरे विश्व का मानचित्र तैयार करने के साथ पारिस्थितिकी तंत्र, बर्फ द्रव्यमान, वनस्पति, समुद्र के जल स्तर में वृद्धि, भूजल तथा भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसे प्राकृतिक खतरों के संबंध में सुसंगत डेटा उपलब्ध कराने पर केंद्रित है।







विशेषता

विवरण

थर्मल ब्लैंकेटिंग

सुनहरे रंग की थर्मल ब्लैंकेटिंग से संचालन के दौरान उपग्रह के तापमान को नियंत्रित किया जा सकेगा।

प्रमुखभाग

रडार पेलोड: सतह अवलोकन हेतु मुख्य उपकरण।

स्पेसक्राफ्ट बस: उपग्रह संचालन हेतु प्रणोदक, संचार, नेविगेशन और दिशा नियंत्रण प्रदान करने पर केंद्रित।

एंटीना और रिफ्लेक्टर: 12 मीटर व्यास का ड्रमनुमा वायर-मेस रिफ्लेक्टर (अंतरिक्ष में सबसे बड़ा) रडार सिग्नल फोकस एवं अवलोकन क्षमताओं को बढ़ाने पर केंद्रित है।

प्रौद्योगिकी प्रगति

 

दोहरी रडार प्रणाली: इसमें नासा के L-बैंड रडार और इसरो के S-बैंड रडार को शामिल किया गया है: 

एल-बैंड रडार: सघन वनस्पतियों में भूमि की हलचल का पता लगाने के साथ ज्वालामुखी और भूकंपीय क्षेत्रों के संदर्भ में अनुकूल है।

S-बैंड रडार: सतही निगरानी परिशुद्धता में सुधार पर केंद्रित है; 8-15 सेमी तरंगदैर्ध्य और 2-4 गीगाहर्ट्ज आवृत्ति पर संचालित होता है।

NISAR के अनुप्रयोग:

  • व्यापक निगरानी: NISAR पृथ्वी की सतहही गतिविधियों (क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर) को उच्च स्पष्टता के साथ कैप्चर करने के साथ दिन और रात संचालित होने पर केंद्रित है।
  • आपदा न्यूनीकरण: आपदा प्रभाव न्यूनीकरण के लिये भूकंपीय गतिविधियों, भूस्खलन, ज्वालामुखीय घटनाओं और बर्फ की चादर में बदलाव पर नज़र रखने पर केंद्रित है।
  • पर्यावरण ट्रैकिंग: धारणीय संसाधन प्रबंधन का समर्थन करने के क्रम में वनों, आर्द्रभूमि, कृषि भूमि और वनोन्मूलन पर नज़र रखने पर केंद्रित है।
  • अवसंरचना स्थिरता: अवसंरचना का आकलन, शहरीकरण की निगरानी ​​तथा बेहतर प्रबंधन हेतु तेल रिसाव का पता लगाने के अनुकूल है।
  • डेटा-संचालित निर्णय-निर्माण: विवर्तनिकी हलचलों को समझने में सहायक होने के साथ संसाधनों के सूचित, धारणीय और मितव्ययी उपयोग को बढ़ावा देने में सहायक है।




  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

इसरो द्वारा प्रक्षेपित मंगलयान

  1. को मंगल ऑर्बिटर मिशन भी कहा जाता है।
  2.  के कारण अमेरिका के बाद मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाला भारत दूसरा देश बना ।
  3.  ने भारत को अपने अंतरिक्ष यान को अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह की परिक्रमा करने में सफल होने वाला एकमात्र देश बना दिया।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. PSLVs पृथ्वी संसाधनों की निगरानी के लिये उपयोगी उपग्रहों को लॉन्च करते हैं, जबकि GSLVs को मुख्य रूप से संचार उपग्रहों को लॉन्च करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।  
  2.  PSLVs द्वारा प्रक्षेपित उपग्रह पृथ्वी पर किसी विशेष स्थान से देखने पर आकाश में उसी स्थिति में स्थायी रूप से स्थिर प्रतीत होते हैं।  
  3.  GSLV Mk-III एक चार चरणों वाला प्रक्षेपण यान है जिसमें पहले और तीसरे चरण में ठोस रॉकेट मोटर्स का उपयोग तथा दूसरे व चौथे चरण में तरल रॉकेट इंजन का उपयोग किया जाता है। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

केवल 1
B. केवल 2 और 3
C. केवल 1 और 2
D. केवल 3 

उत्तर: (A)





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