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ISS में बहु-औषधि प्रतिरोधी रोगाणु

bareillyonline.com by bareillyonline.com
14 June 2024
in बरेली न्यूज़
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ISS में बहु-औषधि प्रतिरोधी रोगाणु

स्रोत: डाउन टू अर्थ

हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT-M) और नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला (Jet Propulsion Laboratory-JPL) के वैज्ञानिकों के बीच एक सहयोगात्मक अध्ययन ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन ( International Space Station – ISS) पर बहु-औषधि प्रतिरोधी रोगाणुओं के व्यवहार को समझने पर ध्यान केंद्रित किया।

अध्ययन की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • एंटरोबैक्टर बुगानडेंसिस (Enterobacter bugandensis) अस्पताल में होने वाले संक्रमणों से जुड़ा हुआ है और सेफलोस्पोरिन तथा क्विनोलोन जैसी तीसरी पीढ़ी के एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति इसके व्यापक प्रतिरोध के कारण यह एक महत्त्वपूर्ण उपचार की चुनौती पेश करता है।
  • आई.एस.एस. के सूक्ष्मगुरुत्व (microgravity), उच्च कार्बन डाइऑक्साइड और बढ़े हुए विकिरण के अद्वितीय वातावरण ने त्वरित उत्परिवर्तनों को उजागर किया, जो उन्हें आनुवंशिक तथा कार्यात्मक रूप से पृथ्वी के समकक्षों से अलग करते हैं।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) क्या है?

  • रोगाणुरोधी प्रतिरोधी सूक्ष्मजीव प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होते हैं तथा मानवों, पशुओं, भोजन और पर्यावरण (जल, मिट्टी और वायु) में पाए जाते हैं।
  • वे मानवों और जानवरों के बीच फैल सकते हैं, जिसमें पशु मूल के भोजन से तथा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकते हैं।
  • AMR को दवाओं के अनुचित उपयोग से बढ़ावा मिलता है, उदाहरण के लिये, फ्लू जैसे वायरल संक्रमणों के लिये एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करना।

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन:

  • ISS एक बड़ा अंतरिक्ष यान है जो कम ऊँचाई (लगभग 250 किमी) पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है और विभिन्न देशों के अंतरिक्ष यात्रियों की मेज़बानी करता है जो वहाँ रहते और शोध करते हैं।
  • यह एक शोध प्रयोगशाला के रूप में कार्य करता है जहाँ सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण स्थितियों में वैज्ञानिक प्रयोग किये जाते हैं जो अंतरिक्ष के बारे में हमारी समझ को बढ़ाते हैं और पृथ्वी पर जीवन को लाभ पहुँचाते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का प्रबंधन वर्तमान में अमेरिका, रूस, कनाडा, जापान और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा किया जाता है।
  • वर्ष 2000 के बाद से यह स्टेशन एक चौकी से विकसित होकर एक अत्यधिक सक्षम माइक्रोग्रैविटी प्रयोगशाला में बदल गया है।
  • वर्ष 2000 के बाद से आई.एस.एस. एक बुनियादी चौकी से एक विशाल माइक्रोग्रैविटी अनुसंधान सुविधा में बदल गया है, जिसमें 21 देशों के 260 से अधिक लोगों को समायोजित किया गया है, जिनकी 2030 तक अनुसंधान करने की योजना है।




  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न1. निम्नलिखित में से कौन-से, भारत में सूक्ष्मजैविक रोगजनकों में बहु-औषध प्रतिरोध के होने के कारण हैं? (2019)

  1. कुछ व्यक्तियों में आनुवंशिक पूर्ववृत्ति (जेनेटिक प्रीडिस्पोज़ीशन) का होना।
  2.  रोगों के उपचार के लिये वैज्ञानिकों (एंटिबॉयोटिक्स) की गलत खुराक लेना।
  3.  पशुधन फार्मिंग प्रतिजैविकों का इस्तेमाल करना।
  4.  कुछ व्यक्तियों में चिरकालिक रोगों की बहुलता होना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) केवल 2, 3 और 4 

उत्तर: (b) 


मेन्स: 

प्रश्न. क्या एंटीबायोटिकों का अति-उपयोग और डॉक्टरी नुस्खे के बिना मुक्त उपलब्धता, भारत में औषधि-प्रतिरोधी रोगों के अंशदाता हो सकते हैं? अनुवीक्षण और नियंत्रण की क्या क्रियाविधियाँ उपलब्ध हैं? इस संबंध में विभिन्न मुद्दों पर समालोचनात्मक चर्चा कीजिये। (2014)



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