Why Mpox is Trending on Google Trends: हाल के दिनों में एमपॉक्स (Mpox) या मंकीपॉक्स (Monkeypox) के बारे में हेल्थ गलियारों में खूब चर्चा हो रही है। इन दिनों यह गूगल में यह काफी ट्रेंड भी कर रहा है। इसका एक कारण है कि पिछले दिनों डब्लूएचओ ने एमपॉक्स पर अपनी चिंता जाहिर की है। इसी संबंध में हाल ही में डब्लूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक इमर्जेंसी बैठक बुलाई थी। डब्लूएचओ को डर है कि यह बीमारी अफ्रीकी देशों सहित अन्य देशों में भी फैल सकती है। आपको बता दें कि पिछले साल सितंबर 2023 में अफ्रीकी देश कांगो में इस बीमारी के मामले तेजी से बढ़े थे। भारत में भी इसके कुछ मामले नजर आए हैं। इस बारे में हमने मुंबई स्थित अपोलो स्पेक्ट्रा में जनरल फिजिशियन Dr. Rahul Nikhumbhe से बात की।
एमपॉक्स के ताजा मामले
WHO के अनुसार, “दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (IHR) राष्ट्रीय फोकल पॉइंट (NFP) ने 8 मई से 2 जुलाई 2024 के बीच 20 एमपॉक्स मामलों की सूचना डब्लूएचओ को दी है। इसमें करीब तीन मौतें शामिल हैं। ये सभी मामले अलग-अलग हिस्सों से थे। दक्षिण अफ्रीका में 2022 के बाद से एमपॉक्स का यह पहला मामला है। जबकि, उस समय देश में करीब पांच मामले सामने आए थे, जिनमें से कोई भी गंभीर नहीं था और किसी की भी मृत्यु नहीं हुई थी। इनमें से प्रभावित व्यक्ति पुरुष 17 से 43 वर्ष की आयु के बीच रहे।” भारत की बात करें तो हमारे यहां मंकीपॉक्स का पहला मामला केरल में देखने को मिला था। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के रिपोर्ट की मानें, तो हमारे देश में करीब 27 मामले अब तक मंकीपॉक्स के आ चुके हैं। जबकि महज एक की मृत्यु हुई है।
एमपॉक्स का पिछले पांच साल का इतिहास
सीडीसी की मानें, तो मंकीपॉक्स वायरस की खोज 1958 में हुई थी। इस बीमारी का नाम भले ही मंकीपॉक्स रखा गया था, लेकिन उस समय तक इसके होने के पीछे मुख्य वजह का पता नहीं चला था। मंकीपॉक्स का पहला इंसानी मामला 1970 में देखने को मिला था। बहरहाल, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने बीमारियों के नामकरण के संदर्भ में मॉडर्न गाइडलाइन को फॉलो करते हुए 2022 में इस बीमारी का नाम बदल दिया है। वह गाइडलाइन सुझाते हैं बीमारी के नाम सांस्कृतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, पेशेवर या जातीय समूहों को ठेस पहुंचाने से बचने चाहिए और व्यापार, यात्रा, पर्यटन या पशु कल्याण पर अनावश्यक नकारात्मक प्रभावों को कम से कम करने के चलते किया गया था। हालांकि, बीमारी का कारण बनने वाले वायरस का अभी भी अपना ऐतिहासिक नाम है।
इसे भी पढ़ें: Monkeypox वायरस से जुड़े इन 6 मिथकों पर न करें भरोसा
एमपॉक्स किस तरह का वायरस है?
एमपॉक्स के दो प्रकार के वायरस हैं, क्लेड 1 और क्लेड 2। क्लेड 1 की बात करें, तो यह दूसरे की तुलना में अधिक गंभीर बीमारी है और यह मृत्यु का कारण भी बन सकता है। रिपोर्टों की मानें, तो क्लेड 1 टाइप वायरस के चलते अब तक 10 फीसदी लोगों की मृत्यु हुई है। हालांकि, हाल के सालों में इस बीमारी के कारण मृत्यु दर कम हुई है। इसके बावजूद, इसकी गंभीरता को देखते हुए इसकी अनदेखी करना सही नहीं है। वहीं, क्लेड 2 की बात करें, तो यह 2022 में शुरु हुए प्रकोप (Outbreak) का कारण बना है। हालांकि, यह सच है कि इस क्लेड 2 के मरीजों में लक्षण हल्के नजर आते हैं और 99 फीसदी लोग इस बीमारी से रिकवर हो जाते हैं।
इसे भी पढ़ें: कोरोना के बाद अब मंकीपॉक्स भी नहीं रहा हेल्थ इमरजेंसी, WHO ने की घोषणा
एमपॉक्स की वैक्सीन
Wisconsin Department Of Health Services के अनुसार, “एमपॉक्स की गंभीरता और मृत्यु दर को कम करने के लिए इस संबंध में दो वैक्सींस मौजूद हैं। JYNNEOS और ACAM2000।” विशेषज्ञों की मानें, JYNNEOS को एमपॉक्स को मैनेज करने के लिए बेहतर वैक्सीन माना जा रहा है। सवाल ये उठता है कि आखिर किन लोगों को यह वैक्सीन लगानी चाहिए? क्या इसके कोई साइडइफेक्ट भी हैं? वेबसाइट की मानें, तो उन लोगों को यह वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए, जिन्होंने ऐसे पार्टनर के साथ पिछले 14 दिनों के अंदर सेक्स किया हुआ हो, जिसे एमपॉक्स हो चुका है। इसके अलावा, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर या जिन लोगों का एक से अधिक लोगों के साथ शारीरिक संबंध है, उन्हें इस वैक्सीन को जरूर लगवाना चाहिए। एमपॉक्स से प्रोटेक्शन के लिए JYNNEOS की दो डोजेज लगाई जाती हैं। एक डोज लगाए जाने के बाद दूसरे डोज के लिए करीब 4 सप्ताह तक इंतजार करना पड़ता है।
किन लोगों को एमपॉक्स वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए?
सीडीसी के अनुसार, उन लोगों को वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए, जिन्हें JYNNEOS के पहले डोज के बाद सीवियर एलर्जिक रिएक्शन हुआ था। अपनी हेल्थ कंडीशन के बारे में डॉक्टर से बात करें। वे एलर्जिक रिएक्शन के प्रभाव को कम करने के लिए एंटीबायोटिक्स की मदद ले सकते हैं।
इसे भी पढ़ें: मंकीपॉक्स को रोकने के लिए वैक्सीन तैयार, 78% तक प्रभावी है Jynneos वैक्सीन की 1 खुराक
एमपॉक्स वैक्सीन के साइडइफेक्ट
वैसे तो एमपॉक्स वैक्सीन के कोई साइडइफेक्ट नहीं हैं। लेकिन, सीडीसी की मानें, तो कुछ लोगों को वैक्सीन लगाने के बाद रेडनेस और इचिंग की समस्या हो सकती है। वहीं, कुछ लोगों को वैक्सीन लगाने के बाद बुखार, सिरदर्द, थकान, मितली, ठंड लगना और मांसपेशियों में दर्द की समस्या हो सकती है। आपको बता दें कि ये सभी संकेत इस ओर इशारा करते हैं कि आपका इम्यून सिस्टम वैक्सीन के प्रति रेस्पॉन्ड कर रहा है।
एमपॉक्स के लक्षण
एमपॉक्स होने पर आमतौर पर लोगों को हाथों, पैरों, चेस्ट और मुंह में रैशेज हो जाते हैं। जेनिटल एरिया, जैसे पेनिस, टेस्टीकल, वजाइना और एनस में भी इसके लक्षण दिखते हैं। शुरुआती 3 से 17 दिनों तक इसके कोई विशेष लक्षण नजर नहीं आते हैं। लेकिन, धीरे-धीरे इसके लक्षण तीव्र होते चले जाते हैं। लक्षणों में शुरुआत में नजर आने वाले रैशेज पिंपल या ब्लिस्टर जैसे नजर आते हैं। कुछ समय बाद इसमें खुजली होने लगती है, जिसमें दर्द भी होता है। इसके अन्य लक्षणों की बात करें-
- बुखार
- ठंड लगना
- लिम्फ नोड में सूजन
- थकान
- मांसपेशियों और पीठ में दर्द
- सिरदर्द
- रेस्पीरेटरी प्रॉब्लम से जुड़े लक्षण, जैसे गले में खराश, नाक बंद और खांसी
एमपॉक्स से कैसे करें बचाव
- एमपॉक्स से बचाव के लिए बहुत जरूरी है कि आप वैक्सीन लगावाएं। इसके रिकमंडेड दोनों डोजेज को चार सप्ताह के भीतर लगवाना जरूरी होता है।
- अगर किसी वजह से वैक्सीन लगवाने में देरी हो रही है, तो बेहतर होगा कि संक्रमित लोगों से दूर रहें।
- लोगों के स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट में आने से बचें। खासकर, जिन लोगों को हाथ, चेहरे, चेस्ट, मुंह आदि में एमपॉक्स जैसे रैशेज दिख रहे हैं, उन्हें न छुएं।
- एमपॉक्स से संक्रमित लोगों को चूमने या उनके साथ संबंध बनाने से बचें।
- अगर आप ऐसे जगह से ताल्लुक रखते हैं, जहां यह बीमारी स्प्रेड हो रही है। ऐसी जगहों पर उन जानवरों को छूने से बचें, जो एमपॉक्स के वायरस को कैरी करते हैं।
एमपॉक्स से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
क्या छूने से एमपॉक्स हो सकता है?
एमपॉक्स किसी को भी हो सकता है। अगर, कोई संक्रमित व्यक्ति को छू दे, तो इससे एमपॉक्स का रिस्क बढ़ सकता है। इसके अलावा, चूमने और सेक्स करने से भी यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति को हो सकती है।
क्या एमपॉक्स का टीका जरूरी है
विशेषज्ञों की मानें, तो एमपॉक्स से बचाव के लिए इसका टीका लगाया जाना जरूरी है। इसके टीके के दो डोज लगते हैं। दोनों डोज 4 सप्ताह के अंतराल में लगाए जाते हैं।
मंकीपॉक्स के लक्षण क्या है?
एमपॉक्स होने पर हाथ, पैर, चेस्ट, मुंह और जेनिटल एरिया में ब्लिस्टर जैसे रैशेज हो जाते हैं। इसके अलावा, एमपॉक्स होने पर बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द होने जैसे लक्षण भी नजर आते हैं।
All Image Credit: Freepik